UK, MANIPUR और GOA में CM को लेकर असमंजस बरकरार, होली के बाद होगी चारों राज्यों के सीएम की ताजपोसी
दिलीप कुमार
बीजेपी चार राज्यों में चुनाव जीतने के बाद नई सरकार का गठन करने में देरी कर रही है। अब इन चारों राज्यों में नई मंत्रीमंडल का गठन और शपथ ग्रहण होली बाद ही हो पाएगा। बीजेपी चाहती है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य आसानी से पहुंच सके।
इस बात को ध्यान में रखते हुए बीजेपी चारों राज्यों में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में तालमेल बैठा रही है, जिस वजह से यह कार्यक्रम होली के पहले कराना संभव नहीं है।
होली के अगले दिन उत्तराखंड में पर्वेक्षक धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल के मौजूदगी में बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। अगर सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन 20 मार्च को संभावित है।
मणिपुर के नवनिर्वाचित विधायक आज शपथ ले रहे हैं। जबकि गोवा में मंगलवार को नवनिर्वाचित विधायक शपथ लेंगे। बतादें कि दोनों राज्यों में विधान सभा भंग कर दिया गया है। इन विधायकों को प्रोटेम स्पीकर शपथ दिलाएंगे।
बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है सीएम का चुनाव करना है। क्यों कि गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में सीएम बनाने को लेकर असमंजस बना हुआ है। उत्तराखंड में विधान परिषद नहीं होने के कारण बीजेपी की समस्या बढ़ गई है। सीएम पुष्कर धामी चुनाव हार गए हैं, जिस वजह से उन्हें सीएम बनाना संभव नहीं है। उधर मणिपुर विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी एनबीरेन सिंह का नाम मुख्यमंत्री के लिए घोषित कर दी थी।
उसके बावजूद भी मणिपुर में सीएम के कुर्सी के लिए कई विधायक दावेदारी कर रहे हैं। ठीक यही हाल गोवा का भी है। वहां भी चुनाव से पहले प्रमोद सावंत का नाम सीएम पद के लिए घोषित कर दिया गया था। उसके बावजूद कई विधायक सीएम पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। अगर बात की जाए प्रबल दावेदार का तो बीजेपी नेता विश्वजीत राणे को बताया जा रहा है।
बता दें कि बीजेपी 40 सीटों वाली गोवा में 20 सीटें हासिल की है और उसके साथ ही उसे कुछ नर्दलीय विधायकों का समर्थन भी मिला है। प्रमोद सावंत की बात करें तो वो हारते हारते बचें हैं क्यों कि उनकी जीत मामुली वोटों से हुई है। यही कारण है कि सीएम पद के लिए अन्य नेता भी दावा ठोक रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिनों से दिल्ली में हैं और वो संभावित मंत्रिपरिषद के गठन के बारे में वरिष्ठ नेताओं से विचार विमर्श कर रहे हैं।