खुलासा : भारत को नक़्शे से मिटाना चाहता था चीन, 1962 में करने वाला था दूसरा हमला

CIAनई दिल्ली। भारत-चीन के तल्ख़ संबंधों को बीच अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी CIA ने बीते दिनों अपने कुछ ख़ुफ़िया दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं। जिसमे कहा गया है कि साल 1962 में चीन-भारत के युद्ध के बाद एक बार फिर से चीन भारत पर हमला करने का प्लान बना रहा था। दस्तावेजों के मुताबिक चीन ये हमला उत्तर पूर्व भारत, तिब्बत, म्यांमार या फिर नेपाल-भूटान के रास्ते कर सकता था।

दस्तावेज में खुला राज

साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से ही अमेरिकी इंटेलिजेंस अफसर चीन के रुख पर नज़र बनाए हुए हैं। 62 की जंग के छह महीनों के भीतर ही डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) और यूएस इंटेलिजेंस बोर्ड (USIB) ने ‘द चाइनीज कम्युनिस्ट ग्राउंड थ्रेट टू इंडिया’ नाम से रिपोर्ट बनाई थी। दस्तावेजों के सार्वजनिक होने के बाद सामने आया है कि चीन के युद्ध के बाद भी नेपाल-भूटान और असम में नॉर्थ-ईस्टर्न फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के रास्ते लद्दाख में भारत पर हमला करने की तैयारी में था।

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि अगर चीन लेह, जोशीमठ (उत्तराखंड) के उत्तरी हिस्से, नेपाल, NEFA और नॉर्थ असम में कब्जा करने की तैयारी में था। 1963 के सीआईए और यूएसआईबी के मेमोरेंडम में कहा गया है कि बर्मा (अब म्यामांर) सरकार भारत पर हमला करने जा रहीं चीनी फौजों का विरोध नहीं करने वाली थीं। बल्कि उन्हें ट्रांसपोर्टेशन और हवाई पट्टी मुहैया कराने वालीं थीं। डीआईए की रिपोर्ट में ये भी बताया  गया है कि चीन का ऑपरेशन उसी स्थिति में बिगड़ता जब लॉजिस्टिक्स में कुछ बिगड़ाव होता या फिर मौसम साथ नहीं देता।

म्यामांर भी चीन के सपोर्ट में था

CIA की रिपोर्ट की मानें तो म्यामांर भी चीन का साथ देने के लिए तैयार था और चीन म्यामांर के ही दो रास्तों- लेडो होते हुए कुनमिंग-डिब्रूगढ़ रोड और मांडले-इम्फाल होते हुए कुनमिंग-तेजपुर रोड के जरिए अटैक करने की तैयारी में था। 1962 की जंग के एक साल बाद सीआईए के डिप्टी डायरेक्टर रे क्लाइन ने तत्कालीन राष्ट्रपति रहे जॉन एफ कैनेडी के स्पेशल असिस्टेंट मैक्जॉर्ज बुंडी को बताया था कि चीन के भारतीय सीमा पर हमले की कई वजहें हैं। बुंडी ने लिखा था, ‘चीन एक लाख 20 हजार फौजों के साथ भारत पर हमला कर सकता है। इसके लिए वह छोटी सी वॉर्निंग देगा या बिल्कुल भी नहीं बताएगा।’ हालांकि रिपोर्ट में हवाई हमले की संभावना से इंकार किया गया है। इसकी वजह हिमालय क्षेत्र में सही एयरबेस का उपलब्ध न होना बताया गया है ।

LIVE TV