आरबीआई की विश्वसनीयता, प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति का अंदेशा : चिदंबरम

कोलकाता। आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) पर ‘कब्जा’ करने के प्रयासों के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि हालिया घटनाएं शीर्ष बैंक की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को ‘अपूरणीय क्षति’ पहुंचा सकती है।

चिदंबरम

चिदंबरम ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह आरबीआई के भंडार से एक लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है, क्योंकि इसके लिए ‘अन्य सभी रास्ते बंद’ हैं, ताकि चुनावी साल में उसे खर्च किया जा सके।

चिदंबरम ने पत्रकारों से कहा, “जैसा की अभी चल रहा है, सरकार वित्तवर्ष 2018-19 के राजकोषीय घाटे को 3.3 फीसदी रखने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया था, जिसे वह पूरा नहीं कर पा रही है, जबकि चुनावी साल में सरकार को खर्च करने के लिए धन चाहिए।”

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उन्होंने कहा, “सभी रास्ते बंद देखकर सरकार आरबीआई के गवर्नर से 1 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है, जबकि आरबीआई के गर्वनर (उर्जित पटेल) मना कर रहे हैं। इसलिए सरकार ने आरबीआई की धारा 7 का इस्तेमाल करने का असाधारण और अप्रत्याशित कदम उठाया है।”

उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा धारा 7 के इस्तेमाल के बाद गर्वनर के पास दो ही रास्ते हैं, या तो वे सरकार को धन दें या फिर इस्तीफा दें।”

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चिदंबरम ने कहा, “मेरा मानना है कि गर्वनर जो भी विकल्प चुनेंगे, उससे आरबीआई की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होगी।”

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