प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज, 6 जून 2025 को जम्मू-कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे ब्रिज, चिनाब रेल ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। यह 1,315 मीटर लंबा आर्क ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (USBRL) का हिस्सा है, जो कश्मीर घाटी को भारत के रेल नेटवर्क से जोड़ेगा। 22 साल में बने इस ब्रिज की लागत 1,486 करोड़ रुपये है। यह न केवल इंजीनियरिंग का नमूना है, बल्कि रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से भी भारत के लिए अहम है।

निर्माण में इतना समय क्यों लगा?
चिनाब ब्रिज का निर्माण 2002 में मंजूर हुआ, लेकिन कई चुनौतियों ने इसे लंबा खींच दिया।
- 2003: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नींव रखी।
- 2008: सुरक्षा और स्थिरता की आशंकाओं के कारण निर्माण रुका। भूकंपीय जोन-IV में होने और आतंकी खतरों के चलते डिजाइन में बदलाव की जरूरत पड़ी।
- 2010: निर्माण फिर शुरू हुआ, लेकिन हिमालयी क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियाँ, जैसे गहरी खाई, संकरे रास्ते, और -10°C से 40°C तक का तापमान, ने प्रक्रिया को जटिल बनाया।
- 2017: आधार तैयार हुआ, और अप्रैल 2021 में मेहराब पूरी हुई। अगस्त 2022 में निर्माण पूरा हुआ।
- 2024: जून में पहला ट्रायल रन और जनवरी 2025 में वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल सफल रहा।
कुल 22 साल लगे, क्योंकि डिजाइन, सुरक्षा, और पर्यावरण मानकों को प्राथमिकता दी गई। कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन ने इसे बनाया, जिसमें कनाडा, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, और भारत की कंपनियाँ शामिल थीं।
चिनाब ब्रिज की खासियतें
चिनाब रेल ब्रिज दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे और आर्क ब्रिज है, जो चिनाब नदी के तल से 359 मीटर (1,178 फीट) ऊपर है। यह पेरिस के एफिल टावर (324 मीटर) से 35 मीटर और कुतुब मीनार से पाँच गुना ऊँचा है।
- डिजाइन और निर्माण:
- 1,315 मीटर लंबा, जिसमें 530 मीटर वायाडक्ट और 785 मीटर आर्क डेक शामिल है।
- 28,660 मीट्रिक टन स्टील और 584 किमी वेल्डिंग का उपयोग, जो जम्मू-दिल्ली की दूरी के बराबर है।
- 17 खंभों पर आधारित स्टील आर्क डिजाइन, कनाडा की WSP द्वारा तैयार।
- ब्लास्ट-प्रूफ: 40 टन TNT के बराबर विस्फोट और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के भूकंप को झेल सकता है।
- मजबूती:
- 266 किमी/घंटा की तूफानी हवाओं को सहन करने की क्षमता।
- -10°C से 40°C तापमान में स्थिर।
- 120-125 साल की अनुमानित आयु।
- सुरक्षा:
- भूकंपीय जोन-V के लिए डिज़ाइन, जबकि क्षेत्र जोन-IV में है।
- 6 लाख हाई-स्ट्रेंथ बोल्ट और विशेष पेंट, जो 20 साल तक रंगाई की जरूरत नहीं।
- पर्यावरण: निर्माण में नदी और वन्यजीवों के आवास की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
- तकनीक: केबल क्रेन्स और इंक्रीमेंटल लॉन्चिंग तकनीक से बनाया गया।
जम्मू-कश्मीर में रेलवे का इतिहास
जम्मू-कश्मीर में रेलवे का विकास चुनौतीपूर्ण रहा है:
- 1897: जम्मू-सियालकोट (40-45 किमी) रेल लाइन बनी।
- 1947: बंटवारे के बाद सियालकोट पाकिस्तान गया, और जम्मू सड़क मार्ग पर निर्भर रहा।
- 1975: पठानकोट-जम्मू रेल लाइन शुरू।
- 1983: जम्मू-उधमपुर (53 किमी) प्रोजेक्ट शुरू, 2004 में पूरा। इसमें 20 सुरंगें और 158 पुल बने।
- 1994-95: USBRL प्रोजेक्ट की घोषणा, 272 किमी लंबा, 37,012 करोड़ रुपये की लागत। इसमें 38 सुरंगें (96 किमी) और 943 पुल शामिल।
- 2004: USBRL को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा।
- 2025: चिनाब ब्रिज के उद्घाटन के साथ कश्मीर घाटी रेल नेटवर्क से जुड़ेगी।
चिनाब ब्रिज की जरूरत क्यों?
- कनेक्टिविटी: कश्मीर घाटी सड़क और हवाई मार्ग पर निर्भर थी। बर्फबारी से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद होने पर संपर्क टूट जाता था। चिनाब ब्रिज हर मौसम में रेल कनेक्टिविटी देगा।
- आर्थिक विकास: पर्यटन, बागवानी, और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। दिल्ली-श्रीनगर की यात्रा 13 घंटे में संभव होगी।
- सैन्य रणनीति: सैनिकों और उपकरणों की त्वरित आवाजाही सुनिश्चित करेगा, खासकर पाकिस्तान सीमा से 65 किमी की दूरी पर।
- रोजगार: निर्माण के दौरान हजारों को रोजगार मिला, और संचालन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
कूटनीतिक महत्व
चिनाब ब्रिज भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करता है:
- सैन्य ताकत: पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के पास होने से भारत की सैन्य तैयारियों को बढ़ावा मिलेगा। यह ब्रिज सैन्य आपूर्ति और त्वरित तैनाती में मदद करेगा।
- विकास का संदेश: हाल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद उद्घाटन भारत की दृढ़ता का प्रतीक है कि वह कश्मीर में विकास से पीछे नहीं हटेगा।
- क्षेत्रीय एकीकरण: कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़कर भारत की एकता और संप्रभुता को मजबूती मिलेगी।
- वैश्विक छवि: इंजीनियरिंग चमत्कार के रूप में चिनाब ब्रिज भारत की तकनीकी क्षमता को विश्व पटल पर प्रदर्शित करता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है।
- चीन-पाक की चिंता: ब्रिज की रणनीतिक स्थिति और मजबूती से पाकिस्तान और चीन की चिंताएँ बढ़ी हैं, क्योंकि यह भारत की सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय नियंत्रण को बढ़ाता है।
चिनाब रेल ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग, दृढ़ता, और रणनीतिक दृष्टि का प्रतीक है। यह कश्मीर को देश से जोड़ने, आर्थिक विकास, और सैन्य ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। 6 जून को इसका उद्घाटन और वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत कश्मीर के लिए नया युग शुरू करेगी।