खजाना दिखाएगा चश्मा, 1 करोड़ में हुई डील, ‘देखते’ ही व्यापारी की मौत

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में आए दिन नई-नई घटनाएं सामने आ रही है। दरअसल पिछले कुछ हफ्तों से यहां एक नए किस्म के अपराधियों ने डेरा डाला है। यहां टप्पेबाजों ने तीन गुजराती व्यापारियों को जादुई चश्मे का झांसा देकर उन्हें बंधी बना कर उनसे रुपए लुटने की घटना को अंजाम दिया है। वहीं जालसाजों के चुंगल से भागने के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए एक कारोबारी की शुक्रवार को ट्रॉमा सेंटर में मौत हो गई।

राजधानी लखनऊ

बता दें कि गुजरात के सूरत के रहने वाले केतन, सुरेश और मयंक ज़री-ज़रदोजी का काम करते हैं। इन तीनों को टप्पेबाजों ने एक अजीब सा झांसा देकर पहले लखनऊ बुलाया और फिर उनको बंधी बनाकर उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा।

जालसाजों ने इन तीनों व्यापारियों को एक ऐसे चश्मे बेचने की बात कही जिसे आंखों पर लगाने के बाद जमीन के अंदर छिपे खजाने को देखा जा सकता है और दावा किया कि इस एक्स-रे चश्मे से उन्हें काफी खजाना भी मिल चुका है। व्यापारियों ने टप्पेबाजों की बात को सच मानकर उनपर विश्वास कर लिया और एक करोड़ रुपये में चश्मा खरीदने का सौदा कर लिया। लेकिन जैसे ही व्यापारी लखनऊ पहुंचे वैसे ही टप्पेबाजों ने उन्हें जानकीपुरम स्थित एक मकान में बंधक बनाकर चार दिन रखा। 80 हजार रुपये ऐठने के बाद बाकी रकम के लिए टप्पेबाज उनपर दबाव बनाने लगे।

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जालसाजों ने जमकर व्यापारियों की पिटाई की और 40 लाख रुपए की मांग की। मांग पूरी न होने पर उन्हें किडनी बेचने की धमकी भी दी। इतना ही नहीं, जब व्यापारी पैसा जुटाने में असमर्थ रहें तो टप्पेबाजों ने इन्हें विक्रम टैम्पों में बैठाकर पुलिस की नजरों से दूर कहीं और छोड़ने की बात कही। तभी मौका देखकर मयंक ने होशियारी दिखाई और गाड़ी से कूद गया।

मयंक की वजह से बाकि दो व्यापारी भी जालसाजों के चंगुल से बच गए। वहीं ऑटो से कूदने के दौरान चेतन गंभीर रुप से घायल हो गए थे। उनका ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा था, जहां शुक्रवार को उनकी मौत हो गई।

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उधर, पुलिस मामले में जालसाजों का सुराग तक नहीं लगा पाई है। चेतन की मौत पर उनकी पत्नी वैशाली और अन्य परिवारीजनों ने लखनऊ पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं। इंस्पेक्टर जानकीपुरम पीके झा का कहना है कि आरोपित भी गुजरात के ही रहने वाले हैं। यहां किराए पर कमरा लेकर ठहरे थे। इस घटना के बाद आरोपित वापस गुजरात भाग गए इसलिए उन्हें नहीं पकड़ा जा सका।

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