नवरात्रि के 7वां दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें पूजा विधि और भोग…
(कोमल)
नवरात्रि के सातंवे दिन मां काली की पूजा अर्चना की जाती है देवी के नौ स्वरूप में से एक कालरात्री का रूप काफी रौद्र है लेकिन उनका दिल बेहद ही कोमल है कहा जाता है कि, कालरात्री माता की पूजा जो भी भक्त दिल से करता है, उसपर मां की विशेष कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही देवी कालरात्रि अज्ञानता का नाश कर अधंकार मे रोशनी लाती हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। साथ ही इनकी पूजा करने से ग्रह-बाधाओं की समस्या भी दूर हो जाती है तो आइएं जानते है मां कालरात्री की पुजा विधि, कथा और भोग के बारे में।
पूजा विधि-पूजा करने के लिए सबसे पहले आप एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र या मूर्ति स्थापित करें… इसके बाद मां को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली चढ़ाएं.. साथ ही माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें…मां कालरात्रि को लाल फूल अर्पित करें… औप मंत्रों का जाप करें… धूप और दीप से आरती उतारने के बाद उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं…कहा जाता है कि, मां कालरात्रि दुष्टों का नाश करके अपने भक्तों को सारी परेशानियों और समस्याओं से मुक्ति दिलाती है…. इनके गले में नरमुंडों की माला होती है… नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से भूत प्रेत, राक्षस, अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय सभी नष्ट हो जाते हैं।
मां कालरात्री की कथा- एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बहुत बड़ा राक्षस रक्तबीज था….और इस दानव ने लोगों के साथ देवताओं को भी परेशान कर रखा था। रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि, जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरती थी तो बिलकुल उसके जैसा दानव बन जाता था…. जिसके बाद दानव की शिकायत लेकर सभी भगवान शिव के पास पहुंचे… भगवान शिव जानते थे कि, इस दानव का अंत माता पार्वती ही कर सकती हैं….तो भगवान शिव ने माता से अनुरोध किया. जिसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति संधान की….और इस तेज ने मां कालरात्रि को उत्पन्न किया…कहा जाता है कि, जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया… इस तरह से देवी मां ने सबका गला काटते हुए दानव रक्तबीज का अंत किया….और रक्तबीज का वध करने वाला माता पार्वती का यह रूप कालरात्रि कहलाया
मां कालरात्री को लगाए भोग-देवी कालरात्रि को काली मिर्च, कृष्णा तुलसी या काले चने का भोग लगाया जाता है… वैसे नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए आप गुड़ का भोग भी लगा सकते हैं…. इसके आलावा नींबू काटकर भी मां को अर्पित कर सकते हैं।