स्किन और मुंह के कैंसर के बाद अब बढ़ा कान का कैंसर, संकेत दिखने पर तुरंत कराएं जांच

आप सभी ने ही मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर शरीर के बाकी अंगों के कैंसर के बारे में तो सुना ही होगा। और शायद कुछ लोगों ने इस खतरनाक बीमारी को बहुत ही करीब से भी देखा होगा। लेकिन आज हम आपको इस बीमारी का ही दूसरा रूप या यूं कहूं कि हमारे शरीर में एक ऐसे अंग में भी यह कैंसर हो सकता है, जो हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग कहा जाता है।

कान का कैंसर

आज हम आपको कान के कैंसर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह कैंसर स्किन के कैंसर से धीरे-धीरे कान तक पहुंच जाता है। इतना ही नहीं यह बाह्य कान के अलावा कान के अंदरूनी कैनाल को भी प्रभावित करता है। जब यह कैंसर कान के अंदर के हिस्से में आसानी से पहुंच जाता है तो यह कान में काफी दर्द का सबब मनता है। कान में ट्यूमर के होने से सुनने की क्षमता पर काफी बुरा असर पड़ता है। इससे धीरे-धीरे रोगी को कम सुनाई देने लगता है। कान में कैंसर की समस्या अकसर वृद्धावस्था में शुरू होती है।

कैंसर के प्रकार

क्लोस्टीटोमा

स्कावमस सेल सार्किनोमा

ये दोनों प्रकार के कैंसर कान को अंदर तक खराब कर देते हैं। यह कान के अंदर ही विकसित होता है। बाद में यह कैंसर बढ़कर धीरे-धीरे पूरे शरीर को अपना शिकार बना लेता है। इस कैंसर के इलाज के लिए आपको सर्जरी, कीमोथेरेपी,रेडिएशन क सहारा लेना पड़ता है। इसके लिए पहले यह पता लगाना जरूरी है कि किस प्रकार का कैंसर व्यक्ति को है। इसका पता इसके लक्षणों को देखकर ही लगेगा।

यह भी पढ़ें- सर्दियों में छोटी-मोटी बीमारियों को जड़ से उखाड़ फेंकता है यह मीठा-मीठा लड्डू

कान में इंफेक्‍शन

कान में किसी भी तरह का संक्रमण हो तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना ठीक रहता है। इस संक्रमण को ठीक होने में कभी कभी एक महीने का भी समय लग सकता है। यह एक तरह की गांठ होती है। दो देखने में गुलाबी रंग का नजर आती है।

कान का कैंसर

सुनाई देना

अक्सर जिन लोगों को कान का कैंसर होता है तो उनके सिर में दर्द बना रहता है साथ ही उन्हें चक्कर जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मरीजों को कान से पूरी तरह से सुनाई देना बंद हो जाता है। कान से रक्त निकलने जैसी समस्याएं जन्म लेने लगती है।

 

 

 

LIVE TV