डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देगा RBI, लायेगा अपना स्वदेशी बिटकॉइन, नाम होगा ‘लक्ष्मी’

डिजिटल ट्रांजेक्शननई दिल्ली। देश भर में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जल्द ही बिटक्वॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी को शुरू करने जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक आर.बी.आई. में एक्सपटर्स का एक ग्रुप भारतीय करंसी रुपए के डिजीटल विकल्प की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक धन की देवी के नाम पर आर.बी.आई. अपने बिटकॉइन का नाम ‘लक्ष्मी’ रख सकता है। जल्द ही इस तरह की वर्चुअल करेंसी को देश में शुरू किया जा सकता है जो कि भारतीय रुपये का डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए एक विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जा सके।

रिजर्व बैंक की क्रिप्टोकरेंसी उसकी उस योजना का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत वह ब्लॉकचेन तैयार करने पर विचार कर रहा है। हालांकि अब तक वह इस गैर-व्यवस्थित कही जाने वाली करंसी को लेकर बहुत सहज नहीं था।क्रिप्टोकरेंसीज के लेनदेन का लेजर रेकॉर्ड रखने वाली व्यवस्था को ब्लॉकचेन कहा जाता है।

बिटक्‍वाइन को दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है। क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और किसी भी प्रकार की करसी में कनवर्ट किया जा सकता है जैसे डॉलर, यूरो और रुपया आदि। इसको जमा करना माइनिंग कहलाता है।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी को ई-मुद्रा भी कह सकते हैं। यह आपके नोटों की तरह नहीं होती है, केवल कंप्यूटर पर ही दिखाई देती है और सीधे आपकी जेब में नहीं आती। इसलिए इसे डिजिटल या वर्चुअल करेंसी कहा जाता है। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। इसके इस्तेमाल और भुगतान के लिये क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है।

खबरों के मुताबिक आरबीआई दिवाली के वक्त इस करेंसी को लॉन्च कर सकता है। इसके लिए सेंट्रल बैंक ब्लॉकचेन कंपनी की मदद लेगी जिसका पूरे विश्व में क्रिप्टोकरेंसी शुरू करने में महारत हासिल है।

क्रिप्टोकरेंसी को जल्द शुरू करने के लिए देश के सबसे बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अन्य बैंकों और तकनीकी कंपनियों के साथ मिलकर इस पर काम कर रहा है। इस मामले में एसबीआई, आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, स्काइलार्क, केपीएमजी और 10 कमर्शियल बैंकों के साथ काम कर रहा है। एसबीआई ने अपनी इस पार्टनरशिप को बैंकचेन नाम दिया है।

LIVE TV