योगी सरकार का बड़ा फैसला, यूपी के सरकारी अस्पतालों के नाम उर्दू भाषा में लिखे जाएंगे

यूपी के योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी जिलों के सीएमओ को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। संयुक्त निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम, पदनाम भी उर्दू में लिखे जाएं। प्रदेश की द्वितीय राजभाषा उर्दू है। इसको लेकर यह आदेश शासन की ओर से जारी का गया है। सरकारी अस्पतालों के नाम अब हिंदी के साथ-साथ उर्दू में भी लिखे जाएंगे, यूपी सरकार की ओर से जारी आदेश में साफ किया गया है कि प्रदेश में अब हिंदी के साथ उर्दू में भी अस्पतालों के नाम लिखे जाएंगे ।

सरकार के आदेश में इन बातों का किया गया है जिक्र
सरकार की ओर से जारी आदेश में भवनों के नाम के साथ-साथ चिकित्सकों और कर्मचारियों के नाम और पदनाम भी हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखने के निर्देश दिए गए हैं। जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों के नाम पर हिंदी के साथ उर्दू में भी लिखवाएं जाएं। राज्य सरकार में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निदेशक की ओर से राज्य के सभी जिलों के सीएमओ को इसके संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। इसके अलावा संयुक्त निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम, पदनाम भी उर्दू में लिखे जाएं।

राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा उर्दू
दरअसल यूपी ने यूपी राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 1989 के माध्यम से दूसरी भाषा के रूप में उर्दू को अपनाया था, जिसने यूपी राजभाषा अधिनियम, 1951 में धारा 3 को जोड़ा था।  हारून ने अपनी शिकायत में कहा था कि कई सरकारी विभाग राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा होने के बावजूद साइनेज पर उर्दू को छोड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग सहित कई सरकारी विभाग सरकारी आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। 

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