बुआ-बबुआ की जोड़ी नहीं इसने तोड़ा गोरखपुर का तिलिस्म, योगी भी हैरान!

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर में लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा कर लिया है। सपा प्रत्याशी प्रवीन निषाद ने भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21961 मतों से हरा दिया। भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजह एसपी-बीएसपी की साझेदारी नहीं बल्कि विपक्ष की चौकस रणनीति और निषाद समाज के मतदाताओं की संख्या भी है।

गोरखपुर

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए गोरखपुर की हार में निषाद पार्टी की भूमिका को नजरअंदाज करना ही उनकी सबसे बड़ी भूल होगी। गोरखपुर लोकसभा के कुल 19 लाख मतदाताओं में से करीब 4 लाख निषाद हैं।

बता दें कि 2016 में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने पार्टी का गठन किया था और वे लगातार निषादों के आरक्षण की मांग करते रहे हैं। निषाद पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनावों में लगभग हर सीट पर सम्मानजनक वोट मिले थे। ऐसे में संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को समाजवादी पार्टी के टिकट पर उतार कर निषाद पार्टी ने बड़ा दांव खेला।

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बता दें कि गोरखपुर और ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं की मठ के प्रति गहरी आस्था है। ऐसे में उपेंद्र नाथ शुक्ल को टिकट दिए जाने के बाद से ही निषाद पार्टी ने उनके मठ के बाहर का प्रत्याशी होने की चर्चा ग्रामीण इलाकों में जोर-शोर से की।

चुनाव प्रचार से पहले प्रवीण निषाद ने चुनाव प्रचार से पहले गोरखनाथ मंदिर जाकर पूजा किया और अपने समर्थकों ने निषाद बाहुल्य इलाकों में बाबा मत्स्येंद्रनाथ के जन्म की कथा को निषादों से जोड़ कर प्रचारित कर दिया। इस कथा में उन्होंने मछली के पेट से जन्म लेने का उल्लेख किया था।

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निषाद पार्टी ने 2017  विधानसभा चुनाव से लगभग एक साल पहले फूलन देवी का जन्मदिवस मनाया था। इस कार्यक्रम में निषाद,  केवट और मल्लाह समुदाय के कई संगठनों की सहभागिता थी। इस कार्यक्रम में उनकी योजना फूलन देवी की 30 फीट की प्रतिमा स्थापित करने की भी थी लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद ऐसा संभव नहीं हो पाया था।

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