बाराबंकी पुलिस की अनूठी पहल, ग्रेजुएशन की छात्रा को बनाया एक घंटे का कोतवाल

सतीश कश्यप

बाराबंकी। कोतवाली भी वही, स्टाफ भी वही, कामकाज का अंदाज भी वही, लेकिन जो बदला हुआ था, वह था बाराबंकी नगर कोतवाली का कोतवाल। कोतवाल की कुर्सी पर आज कोई और ही काबिज था। ऐसे में बाहर से कोतवाली के अंदर प्रवेश करने वाला कोई भी पुलिसकर्मी या आम आदमी यह दृश्य देखकर अचंभे में था।

बाराबंकी पुलिस

हालांकि जब उन्हें यह पता लगा कि आम जनता में मित्र पुलिस का विश्वास पैदा करने के लिए बाराबंकी पुलिस कप्तान ने एक घण्टे के लिए एक कॉलेज की छात्रा को कोतवाल की कुर्सी सौंप दी है और वही कोतवाली चला रही है तो पुलिस कप्तान की इस पहल का सभी ने स्वागत किया।

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कोतवाल की कुर्सी संभालते ही ग्रेजुएट की छात्रा निशा वर्मा ने कोतवाल के सीयूजी फोन पर आने वाले सभी फोन रिसीव किए और जरूरी निर्देश भी दिए। मातहतों से उनके कामकाज की कार्यशैली भी परखी। कोतवाल ने कहा कि पुलिस पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए। अगर राजनीतिक दबाव न हो तो पुलिस और भी बेहतर तरीके से काम कर सकती है।

गंगा मेमोरियल कन्या डिग्री कॉलेज और पटेल डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने आज नगर कोतवाली पहुंचकर पुलिस के कामकाज को करीब से समझा। गंगा मेमोरियल कन्या डिग्री कॉलेज की बीकॉम की छात्रा निशा वर्मा को नगर कोतवाली के कोतवाल की जिम्मेदारी सौंपी गई।

कोतवाल की कुर्सी संभालते ही नई कोतवाल निशा वर्मा ने सीयूजी नंबर पर आने वाले सभी फोन रिसीव किए। एक लड़की के साथ छेड़खानी का फोन आया तो तत्काल महिला पुलिसकर्मियों के साथ ही पुलिस को भी मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया।

इसके अलावा फोन पर मर्डर की सूचना मिली तो तत्काल मौके पर पुलिस को पहुंचने का आदेश दिया। इसके अलावा पुलिसकर्मियों से जरूरी जानकारी भी हासिल की और उसके बाद उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। नई कोतवाल ने कोतवाली का निरीक्षण भी किया और रजिस्टर भी चेक किया।

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ग्रेजुएट की छात्रा को 1 घंटे के लिए कोतवाल बनाए जाने के बाबत बाराबंकी पुलिस कप्तान वीपी श्रीवास्तव का कहना है कि फ्यूचर ऑफ इंडिया यानी देश के भविष्य को यह जरूर जानना चाहिए कि पुलिस किस तरह से काम करती है।

उनका कहना है कि इस पहल से पुलिस और बच्चों के बीच आपसी विश्वास पैदा होगा। बच्चे यह जान सकेंगे कि पुलिस को काम करने में किस तरह की समस्या आती है वहीं पुलिस को यह समझ आएगा कि बच्चों को किस तरह की समस्या होती है।

जहां पर जनता और पुलिस के बीच विश्वास होता है वहां पर कई बार ऐसा सुनने में आता है कि किसी थानाध्यक्ष के ट्रांसफर होने पर जनता धरना-प्रदर्शन तक कर देती है और कहती है कि वह अच्छा काम कर रहे हैं। यह मित्र पुलिस की तरफ बढ़ने का एक प्रयास है। इससे पुलिस के बारे में फैली तमाम भ्रांतियां दूर हो सकेंगी। उन्होंने छात्राओं से कहा कि किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है। पुलिस हमेशा आपकी सुरक्षा के लिए आपके साथ है।

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