SC विवाद : बार काउंसिल एंड एसोसिएशन एक्टिव, सात सदस्यीय टीम कल करेगी जजों से मुलाक़ात

बार काउंसिल ऑफ इंडियानई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जजों में जो विवाद पैदा हुआ उसे सुलझाने के लिए शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने एक अहम बैठक की। इस बैठक में तय हुआ कि सात जजों की एक टीम उन सभी जजों से मुलाक़ात करेगी, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर आवाज उठाई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि ये ख़ास मुलाक़ात रविवार को ही की जाएगी। दरअसल जजों के इस कदम ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। इस कारण लोगों में कोर्ट के प्रति गलत संदेश जाना लाजमी है।

खबरों के मुताबिक़ बीसीआई के चेयरमैन मनन कुमार इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाना चाहते हैं। इस कारण मुमकिन है कि रविवार को ही बार काउंसिल द्वारा गठित की गई सात जजों की टीम मामले का हल निकालने की कोशिश करे।

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लिहाजा टीम की उन चारों जजों से मुलाक़ात होने की पूरी संभावना है। वहीं इस मामले में बार एसोसिएशन द्वारा एक मीटिंग किए जाने की भी खबर है।

बता दें बीसीआई के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने कहा- “हम चाहते हैं कि इस मसले का हल जल्द से जल्द अच्छे तरीके से निकल जाए। इस मामले में हम एक लेटर सरकार को लिखेंगे। हमारा मानना है कि यह पब्लिक में लाने जैसा बड़ा मुद्दा नहीं था।”

उन्होंने कहा, “हमने राहुल गांधी और पॉलिटिकल पार्टीज को हमारी ज्यूडिशियरी के बारे में बात करने का मौका दिया है। यह वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है।”

इसके साथ ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों से मामले में दखल न देने की अपील की।

उन्होंने कहा कि इस मामले का राजनीतिकारण न किया जाए। वह अपने स्तर से उन चारों जजों से अपील करेंगे की मामले का हल शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाए।

उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले को हल करने के लिए यदि बार के सीनियर मेंबर्स का सहयोग चाहिए होगा तो उन्हें भी शामिल किया जाएगा।

मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह ज्युडिशियरी का अंदरूनी मामला है। इस बात को सरकार ने भलीभांति समझा वे उनके इस रुख का स्वागत करते हैं।

वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा- चारों जजों का खुलेआम मीडिया के सामने आना काफी गंभीर है।

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एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने कहा- “सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की पहली मीटिंग चीफ जस्टिस के साथ रखी जाएगी। अगर वो हमारे विचारों से सहमत होते हैं तो हम बाकी जजों से भी अपॉइंटमेंट लेंगे और मीटिंग फिक्स करेंगे।”

उन्होंने कहा कि वे इस मामले का जल्द से जल्द निपटारा चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अपना एक प्रपोजल भी सामने रखा।

उन्होंने कहा कि अब जनहित याचिकओं के मामले सुनवाई चीफ जस्टिस को दी जाए या 5 जजों की कोलेजियम को सौंपी जाए।

बता दें न्याय व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चार बड़े जज मीडिया से शुक्रवार को मुखातिब हुए। ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने इस तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी हो।

जानकारी के मुताबिक, मीडिय़ा से बात करते हुए जजों ने कई खुलासे किए हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे।

चीफ जस्टिस के बाद दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कभी-कभी होता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी बदलती है। सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। आज सुबह भी हम चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मिले थे।

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न्याहयाधीशों के आरोपों के बाद अब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा मीडिया अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के साथ मीडिया से बातचीत करेंगे।

इससे पहले मुख्या न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन की पृष्ठभूमि में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को बैठक के लिए बुलाया।

सुप्रीम कोर्ट के न्याकयाधीशों के इस कदम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से फोन कर बातचीत की है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित 7 पन्नों के पत्र में जजों ने कुछ मामलों के असाइनमेंट को लेकर नाराजगी जताई है।

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