राम मंदिर के बाद विवादों में घिरा बद्रीनाथ धाम, मौलाना ने ठोंका दावा

बद्रीनाथ धामनई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर के बाद अब बद्रीनाथ धाम भी विवादों के घेरे में नजर आने वाला है। जिस तरह से अयोध्या में पिछले कई सालों से हिंदू और मुस्लिमों के बीच विवादित क्षेत्र को अपनाने की जंग जारी है उसी कड़ी में अब बद्रीनाथ धाम का नाम भी शुमार होने वाला है। दरअसल दारूल उलूम के मुफ्ती मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी का कहना है कि इतिहास में छेड़छाड़ की वजह से ऐसा हुआ है।

कासमी का कहना है कि जिस जगह को हिंदू अपना बद्रीनाथ धाम कह कर पूजते हैं दरअसल वहां बदरुद्दीन शाह की दरगाह थी। मुफ्ती ने कहा बद्रीनाथ तो बदरूद्दीन शाह हैं। यह हिंदुओ का नहीं बल्कि मुसलमानों का धार्मिक स्थल है। हिन्दुओं को इसे मुसलमानों के हवाले कर देना चाहिए। लतीफ मियां सहारनपुर की दारुल उलूम निसवा नाम की संस्था के वाइस चांसलर हैं।

मामले की शुरुआत वहां से हुई जब लतीफ मियां को पता चला कि बद्रीनाथ के पास उत्तराखंड रक्षा अभियान दल नाम की संस्था कोई अभियान चला रही है। जिसके तहत बद्रीनाथ के आसपास रहने वाले मुसलमानों से उन्हें वहां रहने के लिए जबरन गोमूत्र और गंगाजल पीने के लिए बाध्य किया जा रहा है।

लतीफ मियां का कहना है कि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम ही बदरुद्दीन शाह हैं और वहां के उत्तराखंड रक्षा दल अभियान से जुड़े लोगों को इतिहास की जानकारी नहीं हैं। सच्चाई तो ये है कि बद्रीनाथ तो मुसलमानों का तीर्थ है। किसी के नाम के आगे नाथ लगाने से वो हिन्दुओं का नहीं हो जाएगा।

मामला तो यहां तक बढ़ चुका है कि लतीफ मिंया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से इस पवित्र धाम को मुस्लिमों के हवाले करने की मांग की है।

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