बाबरी समझौते पर ओवैसी का विरोध, कहा- मौलाना कर रहे मोदी के इशारों पर काम

नई दिल्ली। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बाबरी मस्जिद समझौते पर कड़ा एतराज जताया है। केस के तथ्यों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए ओवैसी ने एक बार फिर पीएम मोदी पर निशाना साधा है।

बाबरी

उन्होंने मंदिर के लिए बाबरी मस्जिद की जमीन छोड़ देने वालों के सामाजिक बहिष्कार का भी आह्वान किया है। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के चेयरमैन सलमान हुसैन नदवी पर निशाना साधा।

नदवी को अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जमीन को राम मंदिर के निर्माण के लिए छोड़ देने के अपने प्रस्ताव को लेकर रविवार को हुई बोर्ड की बैठक में बोर्ड से हटा दिया गया था।

ओवैसी ने बोर्ड की तीन दिवसीय बैठक के समाप्त होने के बाद बोर्ड की ओर से आयोजित सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए नदवी पर बोर्ड के रुख से अलग जाने पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

मौलाना सलमान नदवी ने शुक्रवार को शुरू हुई बोर्ड की 26वीं पूर्ण बैठक की पूर्वसंध्या पर बेंगलुरु मंे श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था कि छह दिसंबर 1992 तक जिस जमीन पर बाबरी मस्जिद खड़ी थी उस जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए छोड़ देना चाहिए और किसी और जमीन पर मस्जिद का निर्माण करना चाहिए।

ओवैसी ने कहा, “वह (नदवी) कह रहे हैं कि उनके प्रस्ताव से देश में शांति और एकता सुनिश्चित होगी। क्या हम अरब में एकता के नाम पर मस्जिद-ए-अक्सा (जेरूसलम में अल-अक्सा मस्जिद) को भी छोड़ दें।”

ओवैसी ने कहा कि नदवी उन मौलवियों में से हैं जिन्होंने 2001 में उस फतवे पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें कहा गया था कि मस्जिद को अनंत काल तक के लिए मस्जिद ही रहने देना चाहिए और मुसलमान बाबरी मस्जिद की जमीन नहीं छोड़ सकते।

ओवैसी ने इससे पहले भी बाबरी समझौते से साफ़ इनकार करते हुए कोर्ट के फैसले का इन्तजार करने पे जोर देते आये हैं। ओवैसी का कहना है कि धर्म के मामले को राजनीति से दूर रखना ही ठीक होगा। बेहतर होगा कि बिना किसी राजनीतिक दबाव में आये हुए दोनों पक्ष कोर्ट की प्रक्रिया में सह्योग करें।

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