Artificial intelligence की मदद से सुलझेगी अपराधों की गुत्थी, केंद्र तैयार कर रहा डाटाबेस

केंद्र देश में सक्रिय विभिन्न आपराधिक गिरोहों व अपराधियों का डाटाबेस व उनके अपराध के तौर-तरीकों पर आधारित एक डाटाबेस तैयार कर रहा है, इससे अपराधों की गुत्थी जल्दी सुलझाने व अपराध रोकने में मदद मिलेगी। यह डाटाबेस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड नेचुरल लेंग्वेज प्रोसेसिंग यानी एनएलपी कहलाएगा। इस डाटाबेस की मदद से जांच एजेंसियां अपराधियों के नए तौर तरीकों को भी समझ सकेंगी। 

मोडस आपरेंडिंग ब्यूरो यानी एमओबी में वर्तमान में सक्रिय 100 से ज्यादा अपराधियों के अपराध के तरीकों व ट्रेड मार्क होंगे। नए अपराधों को लेकर भी यह डाटाबेस लगातार अपडेट किया जाता रहेगा। यह डाटाबेस केंद्रीय गृह मंत्रालय की निगरानी में राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो तैयार कर रहा है। इससे देश के 16000 हजार क्राइम ब्रांच थानों को विभिन्न अपराधों का पर्दाफाश करने में मदद मिलेगी। इन सभी थानों को क्राइम एंड क्रिमिनल्स ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम्स से भी जोड़ा जाएगा। 

बता दें कि देश में सक्रिय शातिर अपराधी अपने तौर-तरीके लगातार बदलते रहते हैं। ऐसे में कई अपराध अनसुलझे ही रह जाते हैं, लेकिन अब एआई आधारित डाटाबेस व सीसीटीएनएस सिस्टम की मदद से इन्हें जल्दी सुलझाया जा सकेगा।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को भविष्य की जरूरत बताते हुए इसके लिए काम करने पर जोर दिया है। डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शुक्रवार को ही कहा था कि इसमें काम कर रहे वैज्ञानिकों को साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की अगली पीढ़ी की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

डीआरडीओ के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में जी सतीश रेड्डी ने कहा कि अकादमिक संस्थान, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) संगठन तथा उद्योग को अत्याधुनिक तथा भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकी पर साथ मिल कर काम करने की जरूरत है ताकि रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि रेड्डी ने डीआरडीओ वैज्ञानिकों से अगली पीढ़ी की जरूरतें पर ध्यान केंद्रित करने को कहा, जिनमें साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता शामिल हैं।

DRDO प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने इस बात का जिक्र किया कि कई सारे छोटे एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को डीआरडीओ द्वारा पुष्पित पल्लवित किया जा रहा है क्योंकि ये डीआरडीओ की परियोजनाओं के लिए छोटे पुर्जे की आपूर्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के लिए नवोन्मेषी उत्पाद विकसित करने को लेकर हर साल कम से कम 30 स्टार्ट-अप को सहायता दी जानी चाहिए।

DRDO प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ के 2021 के लिए ‘निर्यात’ को मुख्य विषय (थीम) बताया और इस बात का जिक्र किया कि डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी पर आधारित कई उत्पादों को रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों तथा निजी कंपनियों द्वारा निर्यात किया गया है।

उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान डीआरडीओ द्वारा निभाई गई भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी 40 प्रयोगशालाओं ने वायरस से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर 100 से अधिक उत्पाद विकसित किए।

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