मिशन 2019 के ख्वाब पर भाजपा को एक और बड़ा झटका, यूपी में भी कमजोर हुआ NDA !

लखनऊ। राज्यसभा चुनाव में जीत के बाद भले ही भाजपा संतुष्टि जाहिर कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं उनके खेमें में भी नतीजों से खुशी नहीं पनप पाई है। अमित शाह से मिलने के बाद भी सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मिजाज बदले हुए जान पद रहे हैं। बताया जा रहा है कि सुभासपा 27 मार्च को बैठक में यह तय करेगी की भविष्य में उसे भाजपा के साथ रहना है या नहीं। फिलहाल अभी इस बात पर संशय बरकरार है।

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भाजपा संतुष्टि

बता दें इस नारजगी की मुख्य वजह विपक्षियों द्वारा क्रॉस वोटिंग विवाद को तूल दिया जाना बताया जा रहा है।

वहीं इससे पहले राज्यसभा चुनाव से पूर्व भी सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर बीजेपी से नाराज चल रहे थे। इतना ही नहीं उन्होंने राज्यसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर दी थी।

इसके बाद बीजेपी खेमे में हलचल हुई थी और पार्टी अध्यक्ष ने राजभर को मिलने के लिए बुलाया था। अमित शाह से मुलाकात के बाद राजभर संतुष्ट दिखे थे, और उन्होंने राज्यसभा चुनाव में मतदान करने पर हामी भरी थी।

इस नारजगी के पीछे का कारण ये माना जा रहा है कि राजभर लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए ज्यादा सीट मांग रहे हैं।

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वहीं ओमप्रकाश राजभर के पुत्र और पार्टी के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव अरंविंद राजभर ने रविवार (25 मार्च) को संवाददाताओं को बताया कि पार्टी की एक आपात बैठक आगामी 27 मार्च को लखनऊ में होगी। बैठक में भाजपा के साथ रिश्तों पर भी विचार होगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नौकरशाही बेलगाम हो गयी है। स्थिति इस कदर भयावह हो गयी है कि आजमगढ़ जिले का एक थानाध्यक्ष नियमानुसार कार्रवाई करने की सिफारिश पर मंत्री ओम प्रकाश राजभर के लिये बोलता है कि वह स्वयं आकर मामला सुलझायें।

राजभर ने बताया कि बैठक में बेलगाम नौकरशाही से निबटने के साथ ही संगठनात्मक विस्तार और अगले माह देवरिया में होने वाले सम्मेलन पर भी विचार होगा।

उन्होंने दावा किया है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान दल के किसी विधायक ने भाजपा के खिलाफ क्रॉस वोटिंग नहीं की है।

बहरहाल, मीडिया रिपोर्ट तथा विरोधी दल के नेताओं के बयान को देखते हुए दल के दो विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है।

राजभर ने एक सवाल के जबाब में कहा कि ऐसी सम्भावना है कि बसपा तथा सपा सुभासपा को अपने गठबंधन में शामिल करने के लिए ये बयानबाजी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा से सुभासपा को अलग करने के लिये राज्यसभा चुनाव में कथित क्रॉस वोटिंग का मुद्दा उठाया जा रहा है।

बता दें भाजपा ने राज्यसभा चुनावों के दौरान यूपी में 9 सीटें हासिल की। वहीं छत्तीसगढ़ और झारखंड से 1-1 सीट अपने नाम की। इस लिहाज से उन्होंने 11 सीटें हासिल की। यानी अब उनका आंकडा 58 से बढ़कर 69 हो चुका है।

अब समर्थन के लिए बात की जाए तो सहयोगी दलों की करीब 19 सीटें यानी कुल भाजपा की झोली में 88 सीटें ही आ रही हैं।

वहीं राज्यसभा में बहुमत के लिए जरूरी हैं 123 सीटें जिस आकड़ें को छू पाने में भाजपा का कोई भी जोड़ तोड़ फिलहाल तो काम आता नहीं दिखाई दे रहा है।

ऐसे में यदि सहयोगी दल भी साथ छोड़ जाते हैं तो मिशन 2019 का मामला अधर में लटक जाएगा। वो भी तब जब हाल ही में टीडीपी(तेलगू देशम पार्टी) और जीजेएम (गोरखा जनमुक्ति मोर्चा) के साथ हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा ने भाजपा से अपना पल्ला झाड़ लिया है।

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