
लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित विशाल रैली को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने सपा को ‘दोगली’ पार्टी बताते हुए कांशीराम के सम्मान में की गई व्यवस्थाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस पर भी संविधान और दलित हितों को लेकर निशाना साधा।
इस रैली में मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को प्रमुखता दी और 2027 यूपी विधानसभा चुनावों के लिए बसपा को मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया। रैली में लाखों की भीड़ का दावा किया गया, जिसमें ओबीसी, सामान्य वर्ग और दलित समर्थकों की भागीदारी बताई गई।
मायावती के हमलों के जवाब में कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने तुरंत पलटवार किया। उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा का श्रेय हमेशा कांग्रेस को जाता है, जहां राहुल गांधी ने इसे आम आदमी, गरीबों और विशेष रूप से दलित समाज के हित में मजबूती से लागू किया। अजय राय ने मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका दलित प्रेम महज दिखावा है और वास्तव में उन्होंने हमेशा दलितों को धोखा देकर ठगा है।
अजय राय ने रैली की भीड़ को पूरी तरह प्रायोजित बताते हुए दावा किया कि यह भाजपा द्वारा फंडेड कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि रैली का असली मकसद यूपी चुनाव नहीं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनावों में दलित वोटों को बांटना है, ताकि भाजपा को फायदा पहुंचे। उनके अनुसार, आरटीओ ने सरकारी व्यवस्था के तहत डीजल भरवाकर गाड़ियां उपलब्ध कराईं, रोडवेज की बसें दी गईं और पूरे यूपी की पुलिस तैनात की गई। अजय राय ने यह भी आरोप लगाया कि मायावती दलित-मुस्लिम विरोधी रुख अपनाए हुए हैं और भाजपा के इशारों पर काम कर रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार में दलित समाज कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा हो चुका है, जबकि यह रैली भाजपा की सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।
इसके अलावा, अजय राय ने अपनी सुरक्षा घटाने का भी जिक्र किया, दावा करते हुए कि यह मोदी और योगी के खिलाफ उनके मोर्चे के कारण किया गया। उन्होंने बरेली और बहराइच जैसे मामलों में बुलडोजर कार्रवाई का हवाला देकर भाजपा सरकार पर हमला बोला। दूसरी ओर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मायावती के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बसपा और भाजपा की सांठगांठ जारी है, और कांशीराम जैसे नेताओं का सम्मान सपा ने ही किया था।