चिकनपॉक्स के बाद अब दुनिया में बढ़ता मंकीपॉक्स का खतरा,जानें बीमारी के लक्षण

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जिसका खतरा दुनिया के कई देशों में मंडरा रहा है। पिछले दिनों इंग्लैंड में मंकीपॉक्स के 3 मामले सामने आने पर दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैज्ञानिक चिंतित हैं। चूंकि मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है इसलिए ये आसानी से विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंच सकती है। एक दूसरे को छूने, छींक के संपर्क में आने या एक दूसरे की वस्तुओं के इस्तेमाल से ये बीमारी तेजी से फैलती है। आइए आपको बताते हैं क्या है ये खतरनाक और दुर्लभ बीमारी और इसके लक्षण।

मंकीपॉक्स

क्या है मंकीपॉक्स

यह एक जानवरो से फैलने वाली बीमारी है। जिसकी शुरुआत सबसे पहले जंगली अफ्रीका से हुई थी। सबसे पहले नाइजीरिया मे इस बीमारी के लक्षम देखे गए थे। तब इस बीमारी के बारे में इतनी जानकारी नहीं मिली थी। यह एक संक्रामक बीमारी है। जो एक व्यक्ति से दूसरे इंसान में तेजी से फैलती है।

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कैसे फैलता है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स जानवरों से फैलता है, खासकर बंदर इस बीमारी को इंसानों में तेजी से फैलाते हैं। ये एक संक्रामक बीमारी है इसलिए संक्रमित व्यक्ति को छूने, उसकी छींक या खांसी के संपर्क में आने, उसके मल के संपर्क में आने या उसकी वस्तुओं को इस्तेमाल करने से ये बीमारी दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। मंकीपॉक्स के ज्यादातर केस में ये अपनी कुछ हफ्तों बाद खुद ही ठीक हो जाती है, हालांकि अगर ये ज्यादा गंभीर रूप ले ले तो परिणाम भयंकर होते हैं।

मंकीपॉक्स

लक्षण

  • तेज बुखार
  • तेज सिरदर्द
  • शरीर में सूजन
  • मसल्स में खिंचाव
  • एनर्जी में काफी कमी
  • त्वचा पर लाल चकत्ते
  • इसकी शुरुआत चेहरे से होती है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है।
  • समय के साथ लाल चकत्ते घाव में बदलने लगते हैं
  • बीमारी के लक्षण 1 से 3 सप्ताह तक रहते हैं।
  • मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स, चिकनपॉक्स जैसी ही बीमारी है, जो कई बार जानलेवा भी हो सकती है। त्वचा पर होने वाले चकत्ते जब घाव में बदलने लगते हैं, तो व्यक्ति को असहनीय दर्द होता है। यह बीमारी बड़ों के साथ इतनी जानलेवा नहीं है जितनी कि बच्चों के लिए जानलेवा है।

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इलाज

मंकीपॉक्स के लिए अब तक कोई वैक्सीन या इलाज नहीं खोजा जा सका है। हालांकि इस वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद शुरुआत में ही अगर स्मॉलपॉक्स के टीके लगा दिए जाएं, तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है और खतरे को कम किया जा सकता है।

 

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