सुप्रीम कोर्ट की फ़टकार के बाद कुछ और महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देने को तैयार हुआ केंद्र

सेना की महिलाओं को परमानेंट कमीशनदेने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सुप्रीम कोर्ट से 2 बजे तक का समय मांगा है। केंद्र सरकार एक हफ़्ते के अंदर कुछ और महिला अफसरों को परमानेंट कमीशनदेने के लिए तैयार हो गई है। इस मामले परल सुप्रीम कोर्ट2 बजे सुनवाई करेगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) और जस्टिस ए एस बोपन्ना (A S Bopanna) की बेंच ने यह सुनवाई की, जिसके दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) ने चेतावनी देते हुए कहा की, ‘हम सेना को अवमानना का दोषी ठहराएंगे। सेना अपने क्षेत्र में सुप्रीम हो सकती है लेकिन संवैधानिक कोर्ट अपने क्षेत्राधिकार में सुप्रीम है।’

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद सेना ने पिछले महीने 22 अक्टूबर को 71 में से केवल  39 महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के लायक समझ कर सिर्फ़ 39 महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया था। सेना ने कोर्ट में कहा गया कि, ‘जिन 72 महिलाओं ने स्थाई कमीशन के लिये अवमानना याचिका दाखिल की है, उनमें से 1 महिला अफसर ने सर्विस से रिलीज़ करने की अर्ज़ी दी है। बची 71 महिलाओं में से सेना ने 7 को परमानेंट कमीशन के लिये मेडिकली अनफिट पाया।’

अभी तक सेना ने इस बात का ख़ुलासा नही किया है कि 32 में से कौन 7 महिलाएं हैं जो मेडिकली अनफिट हैं, और कौन 25 महिला अफसर हैं जो अनुशासनहीन हैं। अब सेना को लिखित हलफ़नामा देकर यह बताना पड़ेगा कि आख़िर वह 25 महिला अफसरों को क्यों परमानेंट कमीशन नहीं दे रही है? इससे पहले कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा था कि, ‘सेना को अपना हलफनामा देते यह भी देखना होगा कि वह 25 मार्च 2021 को कोर्ट के परमानेंट कमीशन देने को लेकर जो फैसला सुनाया था वह इसके दायरे में ही आता है ना?’ जिन महिलाओं के स्पेशल सेलेक्शन बोर्ड में 60 फीसदी कट ऑफ ग्रेड मिले हैं और जिनके खिलाफ डिसिप्लिन और विजिलेंस मामले नहीं हैं, उन सभी महिला अधिकारियों को सेना परमानेंट कमीशन दे।’

सेना द्वारा जिन महिलाओं को परमानेंट कमीशन नही दिया गया है, उन्होने कहा कि, ‘सेना ने महिलाओं को अपनी मर्ज़ी से कुछ भी नही दिया है। सब कुछ उनको कोर्ट में लड़ कर लेना पड़ा है.। जब दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया तो इस आदेश को वायु सेना और नौसेना ने मान लिया पर थल सेना इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। फ़िर 17 फरवरी 2020 और 25 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें महिलाओं को परमानेंट कमीशन देना पड़ा था।’

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