हमारी प्राथमिकता जीवंत मध्यस्थता तंत्र विकसित करना

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि संस्थागत मध्यस्थता सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है, जिससे कारोबार करने में आसानी होगी। मोदी ने देश में मध्यस्थता एवं प्रवर्तन को मजबूत करने की एक राष्ट्रीय पहल पर तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “संस्थागत मध्यस्थता के लिए जीवंत तंत्र का निर्माण करना हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में हाल ही में प्रमुख संशोधन किए गए हैं, जिससे मध्यस्थता प्रक्रिया आसान, समयबद्ध और झंझट मुक्त होगी।”

वैश्विक सम्मेलन

उन्होंने कहा, “इन संशोधनों से हमारी मध्यस्थता प्रक्रिया विश्व की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के साथ सामंजस्य से बनी है। इससे हमें मध्यस्थता अधिकार क्षेत्र में उभरने का अवसर मिला है।”

मोदी ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर मध्यस्थता केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “देश में बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, इंजीनियर और वैज्ञानिक हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। विशेषीकृत मध्यस्थता बार संघ विकसित करने की भी जरूरत है। हमें मध्यस्थता संस्थानों को पेशेवर रूप से चलाने की भी जरूरत है, जो देश में कारोबार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर उचित लागत पर सेवा मुहैया कराएंगे।”

मोदी ने उन चुनौतियों को गिनाया, जिनमें अच्छी गुणवत्ता की उपलब्धता, वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मध्यस्थ, पेशेवर आचरण का अनुपालन, तटस्थता सुनिश्चित कराना और समय पर प्रक्रियाओं को पूरा कराना और लागत प्रभावशीलता शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण मध्यस्थता तंत्र की उपलब्धता कारोबार आसान बनाने का एक अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा, “हांगकांग और सिंगापुर पसंदीदा मध्यस्थता स्थलों के तौर पर उभरे हैं। ये लोकप्रिय कारोबार केंद्र के रूप में कारोबार करने में आसान स्थलों के तौर पर भी शीर्ष पर हैं।”

मोदी ने कहा, “इससे निवेशकों और कारोबार को अतिरिक्त सुविधा मिलेगी। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे देश की अदालतों पर बोझ भी घटेगा।”

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