
भारत की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के एनसीआर इलाकों में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर जानलेवा रूप धारण कर लिया है। सुबह के समय दर्ज आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कई शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को 400 से ऊपर बताया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इससे लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ हो रही है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह हवा हृदयाघात तथा ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों को न्योता दे रही है।
दिल्ली में लोनी का AQI 473, नरेला 472, रोहिणी 460, वजीरपुर 451, शाहदरा 441, मथुरा रोड 442 और आनंद विहार 429 तक पहुंच गया। इसके अलावा, बवाना में 435, अशोक विहार में 420, बुराड़ी में 402 और आईटीओ में 388 दर्ज किया गया। नोएडा के सेक्टर-125 में तो AQI 436 पर पहुंच गया, जो पूरे शहर का सबसे प्रदूषित इलाका बन गया। गुरुग्राम में 286 और फरीदाबाद में 228 का स्तर ‘खराब’ श्रेणी में रहा। कुल मिलाकर दिल्ली का औसत AQI 380-447 के बीच घूम रहा है, जो ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर+’ तक है।
इस संकट से निपटने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत सख्त कदम उठाए हैं। स्टेज-3 के अंतर्गत अब स्टेज-4 के कई उपाय लागू हो गए हैं, जैसे सरकारी और निजी कार्यालयों में 50% कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम, ऑफिस टाइमिंग में बदलाव, नोएडा-गाजियाबाद में डीजल ऑटो पर पूर्ण प्रतिबंध। स्कूलों में फिजिकल स्पोर्ट्स स्थगित कर दिए गए हैं। मौसम विभाग ने भी शनिवार को न्यूनतम तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 23.7 डिग्री रहने का अनुमान लगाया है, साथ ही हल्के से मध्यम कोहरे की चेतावनी दी है, जो प्रदूषकों को और फंसाए रखेगा।
इस बीच, पद्मश्री से सम्मानित न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एमवी पद्मा श्रीवास्तव ने प्रदूषण के खतरों पर चिंता जताई है। हाल ही में भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित हृदय रोग, डायबिटीज और क्लीनिकल शिक्षा के राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे प्रदूषित शहरों में पीएम2.5 कणों का लंबे समय तक संपर्क रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
शोध बताते हैं कि भारत दुनिया के उन पांच देशों में शामिल है, जहां प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां सबसे ज्यादा प्रभाव डाल रही हैं। विशेष रूप से डायबिटीज या हृदय रोगी युवाओं को यह खतरा अधिक है। डॉ. श्रीवास्तव ने सलाह दी कि बाहरी गतिविधियां कम करें, मास्क पहनें और समय पर चिकित्सा जांच कराएं।





