वाराणसी में ‘I Love Mohammad’ पोस्टर के साथ नाबालिगों का जुलूस, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सिगरा थाना क्षेत्र के लल्लापुरा में 23 सितंबर को शाम को मुस्लिम समुदाय के नाबालिगों ने ‘I Love Mohammad’ लिखे पोस्टरों के साथ एक जुलूस निकाला। इस जुलूस में दर्जनों नाबालिग शामिल थे, जो नारे लगाते हुए और एक साउंड बॉक्स के साथ चल रहे थे।

जुलूस को बिना प्रशासनिक अनुमति के निकाले जाने के कारण पुलिस ने इसे शांतिभंग का आधार मानते हुए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस अब नाबालिगों की पहचान और उनके अभिवावकों से पूछताछ कर रही है।

घटना का विवरण
सोमवार शाम को लल्लापुरा, जो वाराणसी का मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है, में नाबालिगों ने बिना अनुमति ‘I Love Mohammad’ लिखे बैनर और पोस्टर लेकर जुलूस निकाला। स्थानीय लोगों के अनुसार, जुलूस में नारे लगाए गए और साउंड बॉक्स के जरिए धार्मिक नारे भी बजाए गए। इस घटना की सूचना मिलते ही सिगरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जुलूस को रोकने का प्रयास किया। चूंकि जुलूस के लिए कोई प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी, पुलिस ने इसे गैरकानूनी माना और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351(2) (शांतिभंग) के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की।

सिगरा थाना प्रभारी ने बताया, “किसी भी जुलूस या सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य है। बिना अनुमति के जुलूस निकालना शांतिभंग का कारण बन सकता है। हम नाबालिगों की पहचान कर रहे हैं और उनके अभिवावकों से पूछताछ की जा रही है।” पुलिस ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।

‘I Love Mohammad’ विवाद का पृष्ठभूमि
यह विवाद सबसे पहले कानपुर में 4 सितंबर 2025 को शुरू हुआ, जब बारावफात (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) के मौके पर सैयद नगर, रावतपुर में ‘I Love Mohammad’ लिखे बैनर और तंबू लगाए गए। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे “नई परंपरा” बताकर विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में 25 लोगों, जिनमें नौ नामजद और 16 अज्ञात थे, के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

इसके बाद यह विवाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव, बरेली, लखनऊ, मुरादाबाद, और मेरठ, साथ ही उत्तराखंड के काशीपुर और महाराष्ट्र तक फैल गया। कई जगहों पर जुलूस के दौरान हिंसा, पथराव, और पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की घटनाएं सामने आईं। उन्नाव में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और एक इंस्पेक्टर की वर्दी के स्टार तक नोच लिए, जिसके बाद छह लोगों को गिरफ्तार किया गया। काशीपुर में 400-500 लोगों के जुलूस में पुलिस पर हमला और सरकारी वाहनों में तोड़फोड़ के आरोप में सात लोग गिरफ्तार हुए।

सियासी और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानपुर पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, “‘I Love Mohammad’ लिखना कोई जुर्म नहीं है। अगर यह जुर्म है, तो हम हर सजा कबूल करने को तैयार हैं।” वहीं, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इन प्रदर्शनों को “सोची-समझी साजिश” करार देते हुए हिंसा पर चिंता जताई और कहा कि यह सुरक्षा के लिए चुनौती है।

लखनऊ में आम आदमी पार्टी की नेता इरम रिजवी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने ‘I Love Mohammad’ विवाद के विरोध में हनुमान चालीसा पढ़कर प्रदर्शन किया और सवाल उठाया कि अगर ‘जय श्री राम’ बोलना अधिकार है, तो ‘I Love Mohammad’ क्यों नहीं? इस प्रदर्शन को पुलिस ने रोक दिया, और रिजवी को नजरबंद कर दिया गया।

सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है। कुछ यूजर्स ने इसे “इस्लामोफोबिया” का उदाहरण बताया, जबकि अन्य ने इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “मोहम्मद साहब से मोहब्बत हमारी रूह में है, इसके लिए जान भी देनी पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे।”

पुलिस और प्रशासन का रुख
उत्तर प्रदेश में इस विवाद के बाद मेरठ जोन समेत कई जिलों में हाई अलर्ट जारी किया गया है, और सीमाओं को सील कर फ्लैग मार्च बढ़ा दिए गए हैं। पुलिस ने स्पष्ट किया कि मुकदमे ‘I Love Mohammad’ लिखने के लिए नहीं, बल्कि बिना अनुमति जुलूस निकालने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश के लिए दर्ज किए गए हैं। वाराणसी पुलिस ने भी यही रुख अपनाया, और नाबालिगों के अभिवावकों से पूछताछ शुरू कर दी है।

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