झारखंड: गुमला में सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी, मुठभेड़ में 3 माओवादी ढेर, AK-47 सहित हथियार बरामद

झारखंड के गुमला जिले में 24 सितंबर को सुबह 8 बजे बिशनपुर थाना क्षेत्र के केचकी जंगल में सुरक्षाबलों और प्रतिबंधित माओवादी संगठन झारखंड जन मुक्ति परिषद (JJMP) के बीच मुठभेड़ में तीन माओवादियों को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन में झारखंड जगुआर और गुमला पुलिस की संयुक्त टीम ने हिस्सा लिया।

मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से एक AK-47 राइफल, दो अन्य हथियार, और गोला-बारूद बरामद किए गए। मारे गए माओवादियों की पहचान लालू लोहरा (लोहरदगा), छोटू ओरांव (लातेहार), और सुजीत ओरांव (लोहरदगा) के रूप में हुई। लालू और छोटू JJMP के सब-जोनल कमांडर थे, जिन पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था।

मुठभेड़ का विवरण
झारखंड पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि JJMP के सदस्य केचकी जंगल में छिपे हैं और उगाही व हिंसक गतिविधियों की योजना बना रहे हैं। इसके आधार पर झारखंड जगुआर और गुमला पुलिस ने संयुक्त सर्च ऑपरेशन शुरू किया। सुबह करीब 8 बजे, जब सुरक्षाबल जंगल में तलाशी ले रहे थे, माओवादियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने तीन माओवादियों को ढेर कर दिया। मुठभेड़ के बाद, पुलिस ने क्षेत्र की घेराबंदी कर दी और ड्रोन व खोजी कुत्तों की मदद से सर्च ऑपरेशन जारी रखा ताकि अन्य संभावित माओवादी पकड़े जा सकें।

झारखंड पुलिस के आईजी (ऑपरेशंस) माइकल राज एस ने कहा, “यह माओवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता है। मारे गए तीनों माओवादी JJMP के सक्रिय सदस्य थे। लालू लोहरा के पास से AK-47 बरामद हुई है। सर्च ऑपरेशन अभी जारी है।” गुमला के पुलिस अधीक्षक हरिस बिन जमां ने बताया कि ऑपरेशन खुफिया सूचना के आधार पर सटीक था, और इससे क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों को बड़ा झटका लगा है।

माओवादियों का आपराधिक रिकॉर्ड
मारे गए माओवादियों में लालू लोहरा और छोटू ओरांव JJMP के सब-जोनल कमांडर थे, जो गुमला, लोहरदगा, और लातेहार जिलों में उगाही, हत्या, और विकास परियोजनाओं में बाधा डालने जैसे अपराधों में शामिल थे। दोनों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था। सुजीत ओरांव JJMP का सक्रिय कैडर था और कई हिंसक गतिविधियों में सहयोगी था। ये तीनों 2021 में झारखंड जगुआर के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार की हत्या में कथित रूप से शामिल थे, जिसके बाद इनकी तलाश और तेज हो गई थी।

झारखंड में माओवाद के खिलाफ अभियान
2025 में झारखंड पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने माओवाद के खिलाफ अभियान को और तेज किया है। इस साल अब तक 32 माओवादी मारे जा चुके हैं, जो हर महीने औसतन तीन माओवादियों के खात्मे को दर्शाता है। सितंबर 2025 में यह चौथा बड़ा ऑपरेशन था। इससे पहले:

  • 15 सितंबर 2025: हजारीबाग के पंतित्री जंगल में तीन माओवादी, जिनमें 1 करोड़ रुपये के इनामी साहदेव सोरेन शामिल थे, मारे गए।
  • 14 सितंबर 2025: पलामू के मानतु जंगल में 5 लाख रुपये के इनामी मुखदेव यादव को ढेर किया गया।
  • 7 सितंबर 2025: पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा में 10 लाख रुपये के इनामी अमित हंसदा उर्फ अप्टन को मार गिराया गया।

पुलिस के अनुसार, झारखंड में अभी भी 100-150 माओवादी सक्रिय हैं, जिनमें मिसिर बेसरा, पतीराम मांझी, और असीम मंडल जैसे 13 शीर्ष माओवादी शामिल हैं, जिन पर 1-1 करोड़ रुपये का इनाम है। झारखंड पुलिस ने मार्च 2026 तक राज्य को पूरी तरह नक्सल-मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस मुठभेड़ को माओवाद के खिलाफ झारखंड सरकार और सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस ऑपरेशन की सराहना की है। गुमला के स्थानीय निवासियों ने इसे राहत की खबर बताया, क्योंकि JJMP की उगाही और हिंसा से क्षेत्र में डर का माहौल था। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच की मांग की है, यह दावा करते हुए कि कुछ मामलों में माओवादियों को “फर्जी मुठभेड़” में मारा गया।

झारखंड में विधानसभा चुनावों से पहले इस सफलता ने सत्तारूढ़ JMM-कांग्रेस गठबंधन को मजबूती दी है, जो कानून-व्यवस्था और नक्सलवाद पर काबू पाने को अपनी उपलब्धि बता रहा है। दूसरी ओर, विपक्षी बीजेपी ने सरकार पर माओवाद को पूरी तरह खत्म करने में विफलता का आरोप लगाया है।

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