
उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विलय को लेकर नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलय किया जाएगा, जबकि पहले यह दूरी एक किलोमीटर निर्धारित थी। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून 2025 को जारी निर्देशों के अनुपालन में नई गाइडलाइन जारी की है।

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने पत्र जारी कर कहा कि अपर्याप्त छात्र नामांकन वाले विद्यालयों को नजदीकी स्कूलों के साथ जोड़ा जाए, जिसमें स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए।
निर्देशों के अनुसार, 50 से कम छात्रों वाले छोटे और कम संसाधनों वाले विद्यालयों को बड़े स्कूलों के साथ पेयर किया जाएगा। प्राथमिक विद्यालयों की पेयरिंग एक किलोमीटर के दायरे में होगी, जबकि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए यह दूरी तीन किलोमीटर तक बढ़ा दी गई है। महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) कंचन वर्मा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर शासन के इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
पृष्ठभूमि और विरोध के बाद बदलाव
इससे पहले, सरकार ने 16 जून 2025 को कम नामांकन वाले स्कूलों के विलय का आदेश जारी किया था, जिसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार था। हालांकि, एक किलोमीटर की दूरी वाले स्कूलों के विलय से अभिभावकों और शिक्षक संगठनों में असंतोष था, क्योंकि कई स्कूल बच्चों के लिए दूर पड़ रहे थे। विरोध और शिकायतों को देखते हुए सरकार ने जुलाई 2025 में नीति में संशोधन कर एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले और 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों को विलय से छूट दी थी। अब उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए दूरी को तीन किलोमीटर तक बढ़ाने का फैसला लिया गया है, ताकि स्थानीय जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सके।
विलय की प्रक्रिया और प्रभाव
नई नीति के तहत, जिन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 50 से कम छात्र हैं, उन्हें तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित बड़े स्कूलों के साथ जोड़ा जाएगा। खाली होने वाले स्कूल भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र या बाल वाटिका संचालित की जाएंगी, जहां 3 से 6 साल के बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी शिक्षा दी जाएगी। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा, और शिक्षकों के पद भी समाप्त नहीं किए जाएंगे। जिन स्कूलों में 50 या अधिक छात्र होंगे, वहां कम से कम तीन शिक्षकों (शिक्षामित्र सहित) की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी।
विरोध और कानूनी कार्रवाई
स्कूल विलय के फैसले का समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने विरोध किया था। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने संसद में इसे दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश बताया था। वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर करने का निर्देश दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई 1 सितंबर 2025 को होनी है। हाईकोर्ट ने पहले सीतापुर में विलय प्रक्रिया पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
सरकार का तर्क और भविष्य की योजना
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि विलय का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों का समेकन है। उन्होंने बताया कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, और ओडिशा जैसे राज्यों में भी स्कूल विलय की प्रक्रिया सफल रही है। उत्तर प्रदेश में 27.53 लाख नए बच्चों का नामांकन हुआ है, और 96% स्कूलों में पानी, शौचालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि यदि भविष्य में छात्रों की संख्या बढ़ती है, तो विलय रद्द कर पुराने स्कूलों में कक्षाएं फिर शुरू की जाएंगी।