
बलरामपुर के गोंडा रोड पर 11 अगस्त की देर शाम मामा के घर से लौट रही एक 22 वर्षीय मूकबधिर युवती के साथ दुष्कर्म की घटना ने कोतवाली देहात पुलिस की गश्त व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए।

इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन लापरवाही बरतने वाले पांच पुलिसकर्मियों को पुलिस अधीक्षक (एसपी) विकास कुमार ने लाइन हाजिर कर दिया। यह घटना जिला मजिस्ट्रेट, एसपी, और जिला जज के आवास से मात्र 800 मीटर की दूरी पर हुई, जिसने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए।
सोमवार शाम करीब 6 बजे पीड़िता अपने मामा के घर से पैदल अपने घर की ओर जा रही थी। रास्ते में अंकुर वर्मा और उसके साथी हर्षित पांडेय ने बाइक पर उसे जबरन बैठाया और गोंडा रोड के सुनसान इलाके में ले जाकर दुष्कर्म किया। पीड़िता की मूकबधिर और मंदबुद्धि स्थिति का फायदा उठाकर आरोपी फरार हो गए।
घटना का 14 सेकंड का सीसीटीवी फुटेज, जो एसपी आवास के पास लगा था, वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ा। इसमें युवती बदहवास हालत में भागती दिखी, जबकि आरोपी उसका पीछा कर रहे थे। परिजनों ने करीब एक घंटे की तलाश के बाद उसे खेत में संदिग्ध हालत में पाया और जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी हालत स्थिर लेकिन मानसिक रूप से आहत बताई गई।
पुलिस की कार्रवाई
एसपी विकास कुमार के निर्देश पर अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पांडेय ने विशेष टीमों का गठन किया। मंगलवार देर रात मुठभेड़ में दोनों आरोपियों, अंकुर वर्मा और हर्षित पांडेय, को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान दरोगा अमित चौहान के हाथ में गोली लगी, और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की, जिसमें गोंडा रोड पर गश्त की लापरवाही सामने आई।
जांच में पाया गया कि घटना के समय रूट पर पीआरबी कर्मी, हल्का प्रभारी, और बीट कांस्टेबल तैनात थे, लेकिन सतर्कता नहीं बरती गई। इसके चलते उपनिरीक्षक शिव कैलाश, मुख्य आरक्षी कमलेश प्रसाद, आरक्षी रजनीश कुमार, बीट आरक्षी सतीश चौरसिया, और चालक होमगार्ड श्रीराम गुप्ता को लाइन हाजिर कर दिया गया।
गोंडा रोड की स्थिति
जांच में पता चला कि गोंडा रोड का करीब तीन किलोमीटर लंबा हिस्सा शाम ढलते ही सुनसान हो जाता है। दोनों ओर खेत और झाड़ियां हैं, और सड़क किनारे कुछ ठेलों की रोशनी को छोड़कर इलाका अंधेरे में डूबा रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात 9-10 बजे के बाद पुलिस गश्त न के बराबर होती है, और आपात स्थिति में मदद देर से मिलती है। यह संवेदनशील इलाका होने के बावजूद पुलिस की लापरवाही ने अपराधियों को वारदात करने का मौका दिया।
लाइन हाजिर का मतलब
नोडल अधिकारी यूपीडा और सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक राजेश पांडेय के अनुसार, लाइन हाजिर कोई वैधानिक दंड नहीं है, बल्कि एक प्रशासनिक कार्रवाई है। इसके तहत पुलिसकर्मियों को फील्ड ड्यूटी से हटाकर रिजर्व लाइन में भेजा जाता है, ताकि उनकी लापरवाही या शिकायत की निष्पक्ष जांच हो सके। यह चेतावनी, वेतन वृद्धि रोकना, पदावनति, या निलंबन जैसे दंडों से अलग है और आमतौर पर अस्थायी अनुशासनात्मक उपाय है।