
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर तीखा हमला बोला, जिसमें उन्होंने 65 दिनों में 22 बार भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम का श्रेय लिया है। रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मुद्दे पर चुप्पी को लेकर लगातार आलोचना की है, इसे भारत की कूटनीतिक स्थिति और स्वायत्तता पर सवाल उठाने वाला बताया।

ट्रंप का दावा और विवाद
ट्रंप ने सोमवार को नाटो महासचिव मार्क रूट के साथ बैठक में दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन के सैन्य संघर्ष को व्यापारिक दबाव के जरिए रोका, जिससे एक संभावित परमाणु युद्ध टल गया। उन्होंने कहा, “हमने युद्धों को सुलझाने में बहुत सफलता पाई है… भारत और पाकिस्तान के बीच हालात इतने खराब थे कि एक हफ्ते में परमाणु युद्ध हो सकता था। हमने व्यापार का इस्तेमाल किया। मैंने कहा, जब तक आप इसे सुलझाते नहीं, हम व्यापार की बात नहीं करेंगे।” ट्रंप ने 10 मई 2025 से शुरू होकर विभिन्न मौकों पर यह दावा 22 बार दोहराया, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक सौदों को प्रोत्साहन और दबाव के रूप में इस्तेमाल करने की बात कही।
जयराम रमेश की आलोचना
जयराम रमेश ने ट्रंप के इन दावों को “भारत-पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलने” का प्रयास बताते हुए इसे भारत की ‘डी-हाइफनेशन’ नीति के खिलाफ बताया, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान को समान नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने 8 जुलाई को भी ट्रंप के दावों पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया था, जब ट्रंप ने कहा था कि वे भारत और पाकिस्तान के साथ जल्द ही व्यापारिक समझौता करने वाले हैं। रमेश ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “65 दिन, 22 बार। एक ही दावा बार-बार दोहराया जा रहा है।” उन्होंने पीएम मोदी से पूछा, “प्रधानमंत्री जी, आप कब बोलेंगे?”
रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि क्या भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता स्वीकार की है और क्या भारत ने ऑटोमोबाइल, कृषि, और अन्य क्षेत्रों में अमेरिकी बाजारों को खोलने की मांगों के आगे झुकने का फैसला किया है। उन्होंने ट्रंप के दावों को “झूठ” या “आधा सच” बताते हुए सरकार से पारदर्शिता की मांग की।
भारत सरकार का खंडन
भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित सभी मुद्दे भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से हल किए जाएंगे। विदेश सचिव विक्रम मिश्रा ने 18 जून 2025 को कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान एक प्रेस बयान में कहा कि पीएम मोदी ने ट्रंप के साथ 35 मिनट की फोन कॉल में साफ किया कि संघर्षविराम में अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी, न ही व्यापारिक सौदों की कोई चर्चा हुई। मिश्रा ने बताया कि पाकिस्तान ने 9 मई की रात को भारत के साथ सैन्य संचार चैनलों के जरिए संघर्षविराम की मांग की थी, क्योंकि भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कार्रवाई में पाकिस्तान के नौ प्रमुख हवाई ठिकानों को भारी नुकसान हुआ था।
ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग, ज्यादातर पर्यटक, मारे गए थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसके बाद 8 से 10 मई तक दोनों देशों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमलों की तीव्र जवाबी कार्रवाई हुई। 10 मई को दोनों देशों ने सैन्य संचार चैनलों के जरिए पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई।
कांग्रेस की मांग और कूटनीतिक चिंताएं
जयराम रमेश ने ट्रंप के दावों को भारत की कूटनीतिक स्वायत्तता पर सवाल उठाने वाला बताया और पीएम मोदी से इस मुद्दे पर संसद में चर्चा और सभी दलों के साथ बैठक की मांग की। उन्होंने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों, जैसे अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक और विदेश सचिव मार्को रुबियो, के बयानों का हवाला दिया, जिन्होंने न्यूयॉर्क के कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड में दावा किया था कि ट्रंप ने टैरिफ के दबाव से संघर्षविराम करवाया। रमेश ने यह भी चिंता जताई कि ट्रंप का भारत और पाकिस्तान को एक समान बताना भारत की उस नीति के खिलाफ है, जो दोनों देशों को अलग-अलग देखती है।
कांग्रेस ने यह भी उल्लेख किया कि ट्रंप के दावों ने पीएम मोदी की “मजबूत विश्व नेता” की छवि को नुकसान पहुंचाया है, खासकर तब जब बीजेपी ने 2024 के चुनावों में मोदी को युद्ध रोकने वाले नेता के रूप में पेश किया था। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और अन्य ने भी ट्रंप के दावों को भारत की संप्रभुता पर हमला बताया और सरकार से जवाब मांगा।
वर्तमान स्थिति
भारत ने बार-बार दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर का मसला द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी। 18 जून को पीएम मोदी की ट्रंप के साथ फोन कॉल के बाद, ट्रंप ने अपने बयान में कुछ हद तक नरम रुख अपनाया, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के नेताओं को संघर्षविराम का फैसला लेने का श्रेय दिया। फिर भी, 65 दिनों में 22 बार अपने दावों को दोहराकर ट्रंप ने भारत की कूटनीतिक स्थिति को चुनौती दी है, जिसे कांग्रेस ने सरकार की “कमजोर विदेश नीति” का प्रतीक बताया।
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