आगरा में यमुना का जलस्तर 486.7 फीट पर, बाढ़ का खतरा नहीं, लेकिन…

आगरा में यमुना नदी का जलस्तर वाटर वर्क्स पर 486.7 फीट तक पहुंच गया है, जो सामान्य से अधिक है, लेकिन अभी बाढ़ का खतरा नहीं है। न्यूनतम बाढ़ स्तर 495 फीट, मध्यम बाढ़ स्तर 499 फीट, और उच्च बाढ़ स्तर 508 फीट है। मॉनसून के दौरान पहाड़ों पर भारी बारिश और गोकुल बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर में वृद्धि हुई है।

जलस्तर में वृद्धि का कारण
सिंचाई विभाग के अनुसार, रविवार, 13 जुलाई 2025 को गोकुल बैराज से 10,165 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि पिछले दिनों 15,000 क्यूसेक पानी छोड़ने से जलस्तर में और इजाफा हुआ। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश ने यमुना के जलग्रहण क्षेत्र में पानी की मात्रा बढ़ा दी है।

सतर्कता और बाढ़ नियंत्रण के उपाय
हाथी घाट और एत्माउद्दौला व्यू पॉइंट जैसे नदी के किनारे बसे क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। सिंचाई विभाग ने प्रतापपुरा में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, जिसका संपर्क नंबर 0562-2463714 है। बाढ़ नियंत्रण प्रभारी चंचल मुच्छल ने बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है, और गोकुल बैराज से छोड़े गए पानी के प्रभाव को देखते हुए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने नदी के किनारे बसे गांवों और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

स्थानीय प्रभाव और चिंताएँ
हालांकि अभी बाढ़ का खतरा नहीं है, लेकिन जलस्तर के बढ़ने से स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है। X पर @AU_AgraNews की एक पोस्ट में लिखा गया, “आगरा में यमुना का विकराल रूप डरा रहा है, खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा जलस्तर…लोगों की बढ़ीं धड़कनें।” नदी के किनारे बसे क्षेत्रों जैसे कैलाश घाट, ताजगंज, और दशहरा घाट में सतर्कता बरती जा रही है। 2023 में यमुना का जलस्तर 499 फीट तक पहुंचा था, जब ताजमहल की दीवारों तक पानी पहुंच गया था, जिससे स्थानीय लोग अभी भी सतर्क हैं।

प्रशासन की तैयारी
सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन ने बाढ़ की संभावना को देखते हुए नाविकों और गोताखोरों को तैयार रखा है। नदी के किनारे बैरिकेड्स लगाए गए हैं, और निचले इलाकों में राहत शिविर स्थापित करने की योजना है। मथुरा में भी गोकुल बैराज के सभी सात द्वार खोले गए हैं, जिससे आगरा में जलस्तर और बढ़ सकता है।

LIVE TV