
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 43 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। यह बैठक सुबह 10:30 बजे शुरू हुई और करीब एक घंटे तक चली। इन प्रस्तावों में बिहार की मूल निवासी महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 35% क्षैतिज आरक्षण, बिहार युवा आयोग का गठन, और दिव्यांगजन सशक्तिकरण जैसे अहम फैसले शामिल हैं। यह निर्णय आगामी विधानसभा चुनावों से पहले लिए गए हैं, जो अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है।

प्रमुख फैसले
- महिलाओं के लिए 35% आरक्षण:
- कैबिनेट ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसके तहत बिहार की सभी सरकारी सेवाओं, संवर्गों, और सभी स्तर के पदों पर सीधी नियुक्तियों में केवल बिहार की मूल निवासी महिलाओं को 35% क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा।
- पहले यह आरक्षण बिहार के बाहर की महिलाओं को भी उपलब्ध था, लेकिन अब यह लाभ केवल बिहार की निवासी महिलाओं तक सीमित होगा।
- यह निर्णय नीतीश कुमार की सरकार की नारी शक्ति को बढ़ावा देने की नीति का हिस्सा है और महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता को और मजबूत करने की रणनीति माना जा रहा है।
- बिहार युवा आयोग का गठन:
- बिहार में पहली बार बिहार युवा आयोग के गठन को मंजूरी दी गई। यह आयोग 18-45 वर्ष के युवाओं के लिए शिक्षा, रोजगार, और कौशल विकास पर सलाह देगा।
- आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, और सात सदस्य होंगे, जिनकी अधिकतम आयु 45 वर्ष होगी। यह आयोग निजी क्षेत्र में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दिलाने और बिहार से बाहर पढ़ने या काम करने वाले युवाओं के हितों की रक्षा करेगा।
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने X पर लिखा, “यह आयोग युवाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह शराब और अन्य नशे की समस्याओं से निपटने के लिए भी कार्यक्रम तैयार करेगा।”
- दिव्यांगजन सशक्तिकरण:
- मुख्यमंत्री दिव्यांगजन सशक्तिकरण योजना संबल के तहत बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले बिहार के दिव्यांग अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार की तैयारी के लिए ₹50,000 और ₹1 लाख की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- हालांकि, यह सहायता केवल दिव्यांग महिलाओं को ही दी जाएगी; पुरुष अभ्यर्थियों (पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, और सामान्य वर्ग) को यह लाभ नहीं मिलेगा।
- कृषि और किसानों के लिए राहत:
- जुलाई में कम बारिश और सूखे की स्थिति को देखते हुए किसानों के लिए ₹100 करोड़ की डीजल सब्सिडी योजना को मंजूरी दी गई।
- किसानों को प्रति एकड़ ₹2,250 (तीन बार सिंचाई के लिए ₹750 प्रति एकड़) की दर से सब्सिडी मिलेगी, जो अधिकतम 8 एकड़ तक लागू होगी। यह सब्सिडी धान, मक्का, जौ, तिलहन, जूट, और मौसमी सब्जियों व औषधीय पौधों के लिए होगी।
- अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव:
- पुनौरा धाम विकास योजना: सीता माता के जन्मस्थान पुनौरा धाम के विकास के लिए एक बड़े बजट को मंजूरी दी गई।
- हिसुआ बायपास: सड़क निर्माण विभाग के तहत ₹35.29 करोड़ की लागत से 2.9 किमी लंबा हिसुआ बायपास बनाया जाएगा, जिससे हिसुआ बाजार में ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।
- जीविका परियोजना: 1.4 लाख जीविका कार्यकर्ताओं का मानदेय दोगुना किया गया। 3 लाख रुपये से अधिक के बैंक लोन पर ब्याज दर 10% से घटाकर 7% की गई, जिसमें अंतर की भरपाई सरकार करेगी।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
ये फैसले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले आए हैं, जो नीतीश कुमार की रणनीति को दर्शाते हैं। महिलाएं बिहार में एक महत्वपूर्ण मतदाता वर्ग हैं, और 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी मतदान दर पुरुषों से अधिक थी। नीतीश सरकार ने पहले भी महिलाओं के लिए 50% पंचायती राज आरक्षण और 35% पुलिस नौकरियों में आरक्षण जैसी योजनाओं से अपनी लोकप्रियता बनाई है। इस बार मूल निवास की शर्त जोड़कर सरकार ने स्थानीय भावनाओं को भी संबोधित करने की कोशिश की है।
35% आरक्षण का यह निर्णय बिहार में महिलाओं की सरकारी नौकरियों में भागीदारी बढ़ाने और नीतीश कुमार की नारी शक्ति नीति को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है। युवा आयोग का गठन और दिव्यांगजन सहायता योजना बिहार के युवाओं और कमजोर वर्गों के लिए नए अवसर खोलेगी। हालांकि, बिहार के बाहर की महिलाओं को आरक्षण से बाहर करने का निर्णय विवादास्पद हो सकता है।