एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 के 12 जून को अहमदाबाद में हुए भीषण हादसे की जांच में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। सिविल एविएशन मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि दुर्घटना स्थल से बरामद ब्लैक बॉक्स, जिसमें कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) शामिल हैं, का डेटा सफलतापूर्वक डाउनलोड कर लिया गया है।

यह डेटा 24 जून को अहमदाबाद से दिल्ली लाए गए ब्लैक बॉक्स से निकाला गया और अब इसका विश्लेषण शुरू हो गया है। इस प्रक्रिया से हादसे के कारणों का पता लगाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है।
डेटा डाउनलोड और जांच की प्रक्रिया
सिविल एविएशन मंत्रालय के तहत एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के दिल्ली स्थित ब्लैक बॉक्स लैब में 24 जून की शाम को जांच शुरू की गई। AAIB के डायरेक्टर जनरल ग्रुप कैप्टन जीवीजी युगंधर की अगुवाई में एक विशेषज्ञ टीम, जिसमें नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) के तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं, ने फ्रंट ब्लैक बॉक्स के क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) को सुरक्षित रूप से निकाला। 25 जून को मेमोरी मॉड्यूल को सफलतापूर्वक एक्सेस किया गया और इसका डेटा डाउनलोड किया गया।
CVR में कॉकपिट में पायलटों की बातचीत, हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) के साथ संचार, और अन्य ध्वनियां जैसे अलार्म और इंजन की आवाजें रिकॉर्ड हैं, जो हादसे से पहले के अंतिम क्षणों की स्थिति को समझने में मदद करेंगी। वहीं, FDR में उड़ान के तकनीकी मापदंड जैसे ऊंचाई, गति, दिशा, और इंजन प्रदर्शन जैसे डेटा शामिल हैं। ये दोनों उपकरण हादसे के कारणों, जैसे संभावित इंजन विफलता, पायलट त्रुटि, या तकनीकी खराबी, को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सिविल एविएशन मिनिस्टर का बयान
सिविल एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू किंजारापु ने बुधवार को पुष्टि की कि ब्लैक बॉक्स भारत में ही है और AAIB द्वारा इसकी जांच की जा रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि ब्लैक बॉक्स को भारी क्षति के कारण डेटा रिकवरी के लिए अमेरिका भेजा जा सकता है, लेकिन नायडू ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि भारत में ही AAIB की अत्याधुनिक प्रयोगशाला में डेटा विश्लेषण का कार्य चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक जटिल तकनीकी प्रक्रिया है और जांच को पूरी गंभीरता के साथ पूरा किया जाएगा।
हादसे का विवरण
12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171, टेकऑफ के 36 सेकंड बाद ही बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में क्रैश हो गई थी। इस हादसे में 242 यात्रियों और चालक दल के 241 लोग मारे गए, साथ ही जमीन पर 34 लोगों की भी मौत हुई। एकमात्र जीवित बचे यात्री, ब्रिटिश नागरिक विश्वशकुमार रमेश, ने बताया कि टेकऑफ के तुरंत बाद एक जोरदार धमाका हुआ और केबिन में रोशनी चली गई थी।
जांच की प्रगति और अगले कदम
AAIB और NTSB की संयुक्त जांच के साथ-साथ बोइंग और GE एयरस्पेस के विशेषज्ञ भी इस प्रक्रिया में सहयोग कर रहे हैं। ब्लैक बॉक्स डेटा का विश्लेषण हादसे के कारणों, जैसे इंजन में बिजली की कमी, पक्षी टकराने की घटना, गलत फ्लैप सेटिंग, या ईंधन प्रणाली में खराबी, को स्पष्ट करने में मदद करेगा। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल ने टेकऑफ के बाद “मेडे, मेडे” कॉल की थी, जिसमें उन्होंने “नो पावर, नो थ्रस्ट” की शिकायत की थी। CVR डेटा से यह पुष्टि होने की उम्मीद है कि पायलटों ने अंतिम क्षणों में क्या कार्रवाई की और कॉकपिट में कौन से अलार्म बजे।
DGCA ने एयर इंडिया के बोइंग 787 फ्लीट की अतिरिक्त सुरक्षा जांच के आदेश दिए हैं, और अब तक 26 विमानों का निरीक्षण पूरा हो चुका है। इसके अलावा, सरकार ने हादसे की व्यापक जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है, जो तीन महीने में प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगी।
आगे की राह
यह हादसा भारत में हाल के दशकों का सबसे घातक विमान दुर्घटना है और बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पहला घातक हादसा है। ब्लैक बॉक्स डेटा का विश्लेषण न केवल इस त्रासदी के कारणों को उजागर करेगा, बल्कि भविष्य में विमानन सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) को तैयार करने में भी मदद करेगा। AAIB की अत्याधुनिक प्रयोगशाला, जिसे अप्रैल 2025 में शुरू किया गया था, इस जांच में भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करती है।