कोलकाता| पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा को एक स्थानीय अदालत ने यहां शुक्रवार को जमानत दे दी। करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तारी के 21 महीने से अधिक समय बाद उन्हें जमानत मिली है।
मदन मित्रा को जमानत
मित्रा के परिवार और समर्थकों के लिए दुर्गा पूजा का त्योहार जैसे पहले ही आ गया, क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों ने मित्रा को जमानत मिलने का जश्न मनाया। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने न्यायालय के फैसले की प्रशंसा की।
मित्रा को 12 दिसंबर, 2014 को गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2015 में एक निचली अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी, जिसके बाद संक्षिप्त समय के लिए वह जेल से बाहर थे। लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत बाद में रद्द कर दी थी।
अलीपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने 15-15 लाख रुपये के दो बांड पर मित्रा को जमानत दे दी।
मित्रा को एक रसूखदार व्यक्ति बताते हुए अभियोजन पक्ष उनकी जमानत का विरोध करता रहा है, और कलकत्ता उच्च न्यायालय सहित अन्य अदालतों ने इसके पहले कई मौकों पर उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया था।
मित्रा के वकील ने कहा, “वह (मित्रा) 600 दिन से अधिक समय से हिरासत में रहे, लेकिन सीबीआई उनके खिलाफ कुछ भी पेश नहीं कर पाई। सीबीआई ने कई पूरक आरोप-पत्र दाखिल किए, लेकिन उनमें मित्रा के खिलाफ कुछ नहीं था। न्यायालय ने 15-15 लाख रुपयों के दो बांड पर उन्हें जमानत दे दी।”
न्यायालय के इस कदम का स्वागत करते हुए तृणमूल के महासचिव पार्था चटर्जी ने सीबीआई पर हमला किया।
उन्होंने कहा, “हत्या के आरोपी को भी कुछ दिनों में जमानत मिल जाती है, जबकि मित्रा 629 दिन हिरासत में रहे। (मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी और पूरी पार्टी की ओर से हम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं और मित्रा व उनके परिवार के स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं और उनके परिवार को बधाई देते हैं।”
चटर्जी ने कहा, “मित्रा हमेशा जनता और पार्टी के साथ रहे और वह अपना यह जुड़ाव बनाए रखेंगे।”