साल में दो बार मनाई जाती है राम नवमी, जानें मर्म ?

दिलीप कुमार

आज देश भर में रामनवमी मनाया जा रहा है। देश के तमाम श्रद्धालु नवरात्रि के नोवों दिन व्रत रखते हैं, कुछ लोग नवरात्रि के पहले और आठवें यानी अष्टमी के दिन उपवास रखते हैं। समस्त सनातन प्रेमी नवरात्रि के नौवों या आठों दिनों को बड़े हर्षोल्लास और पूर्ण पवित्रता के साथ मनाते हैं।

आमतौर पर इस परंपरा को नई पीढ़ी के श्रद्धालु इस संस्कार को अपने अपने पूर्वजों और पुरोहितों से प्रसाद स्वरूप प्राप्त करते चले आ रहे हैं। नवरात्रि के पूजनविधि और व्रत का तरीका भी अपने समाजिक अनुकूलन से सीखते हैं।

आपको बता दें कि श्रद्धालु इसी तरह पूजन और व्रत वर्ष के दो नवरात्रियों में करते और रहते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों वर्ष में दो बार नवरात्रि लोगों के द्वारा इतना धूम-धाम से मनाया जाता है।

आमतौर पर वर्ष के हर मास के दोनों पक्षों यानी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में नवरात्रि आता है, लेकिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि और कुआर मास की नवरात्रि विशेष रूप से मनाया जाता है।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के नवमी को भगवान श्री राम चन्द्र जी का जन्म हुआ था, जबकि वहीं कुआर मास के नवरात्रि के नवमी को भगवान श्री राम चन्द्र जी ने लंकापति रावण का वध किया था। इसी लिए श्रद्धालुओं के बीच ये दोनों नवरात्रि विशेष रूप से महत्व रखती हैं।
हिंदू धर्म के श्रद्धालु चैत्र के नवरात्रि के अंतिम दिन यानी रामनवमी के नाम से बड़े भव्यता और आस्था के साथ मनाते हैं।

आज ही के दिन भगवान विष्णु ने अपने मानव रूप में पृथ्वी पर भगवान राम के रूप में अवतार लिया था। इस दिन को अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसलिए इसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भगवान श्री राम के व्यक्तित्व की गणना करने वाले सभी पारंपरिक शास्त्रो और पाठों में रामनवमी का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदुओं के सबसे पवित्र धर्म ग्रंथ रामायण में, राम के जन्म की कहानी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी तीन रानियों द्वारा किए गए अनुष्ठान के बाद, भगवान राम का जन्म अयोध्या के सूर्यवंशी राज्य के उत्तरधिकारी के रूप में हुआ था। भगवान श्री हरि विष्णु जी के सातवें अवतार मानें जाते हैं। इसलिए श्री राम का जन्म का महत्व काफी अधिक है।

भगवान राम का जन्मदिवस बहुत प्यार और कृतज्ञता के साथ मनाया जाता है। लोग भगवान राम को एक आदर्श पुरषोत्तम के रूप में देखते हैं। भगवान राम ने लोगों को रामराज्य के सिद्धांतों के तहत एक आदर्श जीवन जीना सिखाया। यही कारण है कि आज भी देश भर के हिंदू भगवान राम को अपना आदर्श मानते हैं और उन्हें पूजते हैं।

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