नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, यूं करें मां को प्रसन्न
(कोमल)
नवरात्रि के चौथे दिन पर मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है…मां दुर्गा का यह रूप शक्ति को प्रदर्शित करता है इसीलिए उन्हें आदिशक्ति और आदिस्वरूपा के नाम से भी जाना जाता है कथाओं के अनुसार अपनी मंद मुस्कान से देवी कुष्मांडा ने इस ब्रह्मांड को रचा था। मां कुष्मांडा अपने भक्तों के सभी दुखों को हरती हैं और उनके जीवन में सुख समृद्धि का वास करती हैं। मां कुष्मांडा शक्ति का स्वरुप हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं मां कुष्मांडा का स्वरूप तेज से परिपूर्ण है, उनके हाथ में कमल, माला, धनुष, बाण, गदा, चक्र, मंडल और अमृत है… कहा जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करते समय आरती, मंत्र, और और भोग पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
पूजा विधि-सबसे पहले कलश और उस में उपस्थित देवी देवता की पूजा करें फिर अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए इनकी पूजा के बाद देवी कूष्माण्डा की पूजा शुरू करें इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करना चाहिए इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और फिर मां कूष्माण्डा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें फिर माता की कथा सुनें, इनके मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान करें और अंत में आरती उतारकर प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
मां कुष्मांडा की कथा– पौराणिक कथाओं के अनुसार मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों का संहार करने के लिए हुआ था… कहा जाता है कि, कुष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है और कुम्हड़े को कुष्मांड कहा जाता है। इसीलिए मां दुर्गा के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा रखा गया था…. जानकारों के मुताबिक, जब हर जगह अंधेरा व्याप्त था तब मां कुष्मांडा ने अपने मंद हंसी से इस सृष्टि का अस्तित्व रचा था… जिसके बाद मां कुष्मांडा को आदिस्वरूपा और आदिशक्ति के नाम से जाना गया। कहा जाता है कि, सूर्य मंडल के पास के एक लोक में मां कुष्मांडा निवास करती हैं जो भक्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की विधिवत तरीके से पूजा करता है उससे बल, यश, आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
मां कुष्मांडा का भोग– कूष्मां डा देवी को सफेद कुम्हीड़े यानी समूचे पेठे के फल की बलि दें इसके बाद देवी को दही और हलवे का भोग लगाएं ब्रह्मांड को कुम्ह़रे के समान माना जाता है,जो कि बीच में खाली होता है देवी ब्रह्मांड के मध्यु में निवास करती हैं और पूरे संसार की रक्षा करती हैं अगर आपको साबुत कुम्हारा न मिल पाए तो आप मां को पेठे का भोग भी लगा सकते है ।