समाजवादी स्मार्ट फोन के प्रस्ताव पर सीएम अखिलेश के कैबिनेट की मुहर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें एक ओर जहां उत्तर प्रदेश में नई युवा नीति बनाने पर सहमति बनी, वहीं दूसरी ओर राज्य में आने वाले समय में स्मार्ट फोन बांटने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है। इसके लिए जल्द ही पंजीकरण शुरू किया जाएगा। लखनऊ में कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

स्मार्ट फोन

राजधानी में फैल रहे डेंगू की बीमारी को लेकर भी मुख्यमंत्री को काफी चिंतित देखा गया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मुझे खुद दो-तीन दिन तक बुखार से पीड़ित था। लोगों को सतर्क रहना चाहिए। चिकित्सकों से भी अपील करता हूं कि इस समय डेंगू जैसी बीमारी पर पूरी नजर रखें। अस्पतालों में लोगों को बेहतर सुविधाएं दी जाएं।”

कैबिनेट के अहम फैसले

सीएम अखिलेश की अध्‍यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ये अहमम फैसले लिए गये।

मोबाइल रजिस्ट्रेशन को मंजूरी, जिला पंचायत के अध्यक्षों को दी जाएगी नयी कार, अंशकालिक शिक्षकों के मानदेय के लिए 200 करोड़ रुपए मंजूर, जौनपुर में बनाया जाएगा नया ऑडिटोरियम, लॉयन सफारी इटवा के में फैसिलिटेशन सेंटर को मंजूरी, सीतापुर में आचार्य नरेंद्र देव पार्क बनाने की मंजूरी, बस्ती में विकास प्राधिकरण बनाने को मंजूरी, भूतपूर्व सैनिकों के आश्रितों को स्टांप शुल्क में छूट की मंजूरी, केजीएमयू में ट्रामा सेंटर के विस्तार को मंजूरी, समूह ग व घ संविदा कर्मियों की नियमावली को मंजूरी, गाजीपुर में नया ट्रामा सेंटर बनाने को मंजूरी, गोमती नगर में एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान को मंजूरी, निराश्रित महिलाओं की सहायता राशि को बढ़ाने की मंजूरी, यूपी में युवा नीति बनाने को मंजूरी।

मुख्‍यमंत्री ने कद्दावर मंत्री आजम खां द्वारा भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों में उठी हुई उंगली के बारे में दिए गए बयान पर गुरुवार को सफाई देते हुए कहा, “चुनाव आ गया है। कुछ लोग वोटों के ठेकेदार बने घूम रहे हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि महापुरुषों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कुछ लोग इस पर भी वोट की राजनीति कर रहे हैं।

आजम के विवादित बयान पर अखिलेश ने कहा, मीडिया कुछ मुद्दों को जानबूझकर तूल देती है। बदायूं कांड की सच्चाई सबके सामने है। मीडिया ने उस मामले यूएन तक पहुंचा दिया, लेकिन जांच के बाद सच्चाई का पता चल गया। इसीलिए, सभी को सावधान रहने की जरूरत है और मीडिया को भी असलियत दिखानी चाहिए।

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