तालिबान ने ऐलान कर दिया हैं कि अफगानिस्तान में उसकी नई सरकार का नेतृत्व मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा करेगा। टोला न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने यह जानकारी दी है कि अखुंदजादा के मातहत एक प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति देश चलाएगा। स्थानीय रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तालिबान सरकार को लेकर जल्द ही घोषणा की जाएगी।

टोलो न्यूज ने तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्ला समांगानी के हवाले से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हैबतुल्ला अखुंदजादा नई अफगानिस्तान सरकार का प्रमुख होगा। इसके अलावा, तालिबान पहले ही प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नर, पुलिस प्रमुख और पुलिस कमांडर नियुक्त कर चुका है। काबुल पर तालिबान के कब्जे और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को मुल्क छोड़कर भागे हुए दो हफ्ते हो चुके हैं। इस वजह से अफगानिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी, ईरान मॉडल के आधार पर सरकार बना रहे हैं। इसमें एक इस्लामी गणराज्य होगा जहां सर्वोच्च नेता राज्य का प्रमुख होता है। वह सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक व्यक्ति भी होगा। यहां तक कि वह राष्ट्रपति से भी ऊपर होगा।
तोलो न्यूज के अनुसार समांगानी ने कहा – ‘नई सरकार पर विचार-विमर्श लगभग हो गया है और कैबिनेट के बारे में आवश्यक चर्चा भी हो चुकी है। हम जिस इस्लामी सरकार की घोषणा करेंगे वह लोगों के लिए मॉडल होगा। सरकार में कमांडर (अखुंदजादा) की उपस्थिति पर कोई संदेह नहीं है। वह सरकार के नेता होंगे और इस पर कोई सवाल नहीं होना चाहिए।’

अखुंदजादा कभी सामने नहीं आया और उनके ठिकानों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। माना जा रहा है कि नई सरकार में वह कंधार से काम करेंगे। इस बीच, अपुष्ट रिपोर्ट्स के अनुसार अगली सरकार में एक प्रधानमंत्री का पद भी होगा। तालिबान पहले ही विभिन्न प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नर, पुलिस प्रमुख और पुलिस कमांडर नियुक्त कर चुका है।
वहीं, तालिबान की नई सरकार को लेकर काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह के लिए तैयारियां जोरो-शोरों पर हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, तालिबान की नई सरकार के गठन के मौके पर भारत समेत कई देशों के प्रमुखों को न्योता भेजा जाने वाला है। कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के डिप्टी प्रमुख शेर अब्बास स्तानिकजई ने इस बात की पुष्टि की कि नई सरकार में सभी अफगान जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने 2001 में अमेरिकी कब्जे के बाद कैबिनेट में सेवाएं दीं, उन्हें नई कैबिनेट में जगह नहीं दी जाएगी।