इस दुर्लभ मंत्र से सूर्य आराधना कर अपने जीवन को करें प्रकाशमान

भगवान सूर्यभगवान सूर्य ब्रह्मांड के संचालक हैं। सम्‍पूर्ण ब्रह्मांड उन्‍ही से नियंत्रित है। वह समस्‍त लोकों के स्‍वामी हैं। श्री सूर्य देव ग्रहों के राजा हैं। ब्रह्मांड के न्‍यायाधीश श्री शनि देव के पिता हैं। स्‍वयं नारायण रूप हैं। ब्रहृमा के समान विद्वान हैं। श्री हनुमान जी के गुरु हैं। वह समस्‍त लोकों को प्रकाशमान करते हैं।

अपने जीवन के दुखाें को दूर करने का सबसे सरल उपाय है सूर्य उपासना। अगर रोज कर सकें तो अति उत्‍तम और नहीं तो सूर्य आराधना के लिए रविवार का दिन तो उन्‍ही के लिए बना है।

रविवार के दिन सूर्य उपासना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन सूर्य को जल चढ़ाने, मंत्र का जाप करने और सूर्य नमस्कार करने से बल, बुद्धि, विद्या, वैभव, तेज, ओज, पराक्रम व दिव्यता आती है। ‘राष्ट्रवर्द्धन’ सूक्त से लिया गया सूर्य का दुर्लभ मंत्र –

‘उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।

यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।

सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।

यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।’

अर्थात यह सूर्य ऊपर चला गया है, मेरा यह मंत्र भी ऊपर गया है, ताकि मैं शत्रु को मारने वाला बन जाऊं।

प्रतिद्वन्द्वी को नष्ट करने वाला, प्रजाओं की इच्छा को पूरा करने वाला, राष्ट्र को सामर्थ्य से प्राप्त करने वाला तथा जीतने वाला बन जाऊं, ताकि मैं शत्रु पक्ष के वीरों का तथा अपने एवं पराए लोगों का शासक बन सकूं।

रविवार तक सूर्य को नित्य रक्त पुष्प डाल कर अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य द्वारा विसर्जित जल को दक्षिण नासिका, नेत्र, कान व भुजा को स्पर्शित करें।

भगवान सूर्य  को अर्घ्य देते समय उच्‍चारित करें –

ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।

अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।

ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ नमो भास्कराय नम:।

अर्घ्य समर्पयामि।।

भगवान सूर्य ध्यान मंत्र :

ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती।

नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:।।

केयूरवान्मकर कुण्डलवान किरीटी।

हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र।।

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम।

तमोहरि सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम।।

सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।

चरश्चरैवेति चरेवेति…!

सूर्य नमस्कार तेरह बार करना चाहिये और प्रत्येक बार सूर्य मंत्रो के उच्चारण से विशेष लाभ होता है, वे सूर्य मंत्र निम्न है-

  1. ॐ मित्राय नमः, 2. ॐ रवये नमः, 3. ॐ सूर्याय नमः, 4.ॐ भानवे नमः, 5.ॐ खगाय नमः, 6. ॐ पूष्णे नमः,7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः, 8. ॐ मरीचये नमः, 9. ॐ आदित्याय नमः, 10.ॐ सवित्रे नमः, 11. ॐ अर्काय नमः, 12. ॐ भास्कराय नमः, 13. ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः
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