
कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के बीच रामपुर के किसान बाबा कश्मीर सिंह ने अपने प्राणों की आहूति दे दी। आत्महत्या से पहले गुरमुखी में लिखे सुसाइड नोट में उन्होंने अपनी आत्महत्या के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने लिखा कि आखिर कब तक हम लोग यहां सर्दी में बैठे रहेंगे। सरकार सुन नहीं रही है इसलिए अपनी जान देकर जा रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके।

बाबा कश्मीर सिंह की आत्महत्या की खबर के बाद लखनऊ से लेकर रामपुर तक के अधिकारियों के फोन घनघनाने लगे। सभी को यह चिंता सताने लगी कि कहीं आंदोलन और उग्र न हो जाए। भले ही बाबा ने इच्छी जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके पोते के हाथों यूपी दिल्ली बॉर्डर पर होना चाहिए। लेकिन उनकी यह इच्छा सरकार की ओर से पूरी नहीं की गयी। गाजियाबाद पुलिस ने बिना पोस्टमार्टम के ही उनका शव कड़ी सुरक्षा में रामपुर के लिए रवाना कर दिया। जिसके बाद रामपुर में उनका पोस्टमार्टम करवाया गया। इस दौरान भी भारी संख्या में पुलिस बल वहां तैनात रहा।

जिसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच उनका शव पसियापुर भेजा गया। प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री और बिलासपुर के विधायक बलदेव सिंह औलख ने कश्मीर सिंह के गांव पहुंचकर शोक व्यक्त किया। उन्होंने परिजनों से कहा कि प्रदेश सरकार उनके साथ है। औलख ने कश्मीर सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करने के साथ-साथ वहां मौजूद लोगों का मिजाज भांपने की कोशिश की।
