
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से राजनीतिक बैठकों और बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में पड़ती दरार की वजह से राजनीतिक हलचल तेज है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर उठापठक का दौर चल रहा है लेकिन सरकार बन नहीं पा रही. यदि ऐसी ही स्थिेति आगे 9 नवंबर तक बनी रही तो उसके बाद बहुत कुछ बदल जाएगा.
महाराष्ट्र के संदर्भ में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि राज्यपाल को महाराष्ट्र में सरकार गठन के रास्ते निकालने चाहिए. हालांकि यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वह कि सरकार बनाने के लिए आमंत्रिात करते हैं. ऐसे में यदि 9 नवंबर तक सरकार का गठन नहीं होता है।
तो विधानसभा भंग नहीं होगी क्योकि नई विधानसभा गठित होकर आ गई है. ऐसे में राज्यपाल मौजूदा मुख्यमंत्री या फिर किसी को नए मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी दे सकते हैं. हालांकि कार्यवाहक मुख्यमंत्री कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते. उन्हें सिर्फ सरकार के दैनिक प्रशासनिक कामकाज देखने होते हैं.
बता दें कि अगर महाराष्ट्र में सरकार गठन के कोई रास्ते नहीं निकालने हैं तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल, राष्ट्रपति शासन सिफारिश कर सकते हैं. राष्ट्रपति को तीन धाराओं के तहत आपातकाल की घोषणा की शक्ति प्राप्त है.
जल्द शुरू होने वाली है आईपीएल (IPL 2020) के लिए खिलाडियों की नीलामी, BCCI जल्द करेगा ऐलान
धारा 352 के तहत युद्ध या विदेशी आक्रमण की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल लगाया जा सकता है तो धारा 360 के तहत आर्थिक आपातकाल लगाया जा सकता है. लेकिन महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में धारा 356 के तहत आपातकाल लगाया जा सकता है.
इस आपातकाल को राष्ट्रपति शासन भी कहते हैं. संविधान में इसका वर्णन राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता के तौर पर किया गया है.
अगर आपातकाल लगता है तो राज्य की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में आ जाएगी. संसद, राज्य विधानसभा के सभी कार्यों को देखेगी. इन बातों का असर न्यायपालिका पर नहीं पड़ेगा. संसद को इस पर दो महीनों के अंदर सहमति देनी होती है.