
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) भी सुरक्षा का बड़ा मसला बनता जा रहा है. इस लिस्ट में कई लोगों के नाम नहीं हैं. एनआरसी लिस्ट में नाम ना होने की वजह से लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है. आपको बता दें कि 31 अगस्त को सुबह 10 बजे एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी. इस लिस्ट से 41 लाख लोगों को बाहर किया जा सकता है. फिलहाल जिन लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं है उनके ऊपर संकट के बादल भंडरा रहे हैं.
एनआरसी को लेकर चिंतित 55 वर्षीय अंजली दास ने पिछले तीन दिन से न तो ठीक से खाना खाया है और न ही अच्छे से नींद ली है. अंजली दास का कहना है कि पहले की दो लिस्ट में उनका और उनके परिवार के सदस्यों का नाम था, लेकिन फाइनल लिस्ट से उनके परिवार के सदस्यों का नाम हटा दिया गया है.
अंजली का कहना है कि हमारे पास सभी दस्तावेज हैं और पहले की दो लिस्ट में हमारा नाम भी था, लेकिन अब आखिरी लिस्ट से हमारे परिवार के सदस्यों का नाम अचानक हटा दिया गया है. हमको विदेशी कहा जा रहा है. यह कैसे संभव हो सकता है? हमारे पास अपने भारतीय होने की बात साबित करने के लिए सभी दस्तावेज हैं. मेरे पिता का नाम और पता सब कुछ यहीं का है. हम बेहद तनाव से गुजर रहे हैं.
क्लेरिकल एरर का शिकार हुए साधन दास
अंजली और उनका परिवार दशकों से असम में रह रहा है, लेकिन अब उनके पति साधन दास क्लेरिकल एरर के शिकार हो गए हैं. पहली दो लिस्ट में उनका नाम बदलकर साधना दास कर दिया गया और अब अचानक उनका नाम लिस्ट से हटा दिया. जब साधन दास का नाम गलत दर्ज किया गया, तो उन्होंने इसको सुधारने के लिए दो बार आवेदन भी किया, लेकिन सुधार नहीं किया गया. साधन दास एक किसान हैं और असम के मोरीगांव के बोरखल के निवासी हैं.
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मां-बाप के साथ बेटे-बेटी भी चिंतित
साधन दास के बेटे सुनील दास और उनकी बेटी कमला दास भी एनआरसी की लिस्ट में नाम नहीं होने को लेकर बेहद चिंतित हैं. सुनील दास का कहना है कि एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं होने की चिंता की वजह से न खाना अच्छा लगता है और न ही काम में मन लगता है. दिमाग ने काम करना भी बंद कर दिया है. उनका कहना है कि अगर एनआरसी लिस्ट में नाम नहीं आया, तो न जाने क्या होगा?
एनआरसी को लेकर कमला दास ने कहा, ‘हमने केस लड़ने और डिक्री हासिल करने में खूब पैसा खर्च किया. हमने अपनी सारी बचत खत्म कर दी. अब हम बेहद दुखी हैं. अगर एनआरसी की आखिरी लिस्ट में हमारा नाम नहीं रहता है, तो क्या होगा.’
मां-बाप का नाम शामिल, पर बच्चों का नाम गायब
ऐसे हालात सिर्फ असम के एक जिले में नहीं हैं, बल्कि पूरे राज्य में हैं. असम के नेली इलाके में कुछ परिवार की ऐसी कहानी है कि मां-बाप का नाम एनआरसी लिस्ट में हैं, लेकिन उनके बच्चों का नाम गायब है. नसीम उल नेसा ने कहा, ‘मेरा और मेरे पति का नाम एनआरसी लिस्ट में है, लेकिन मेरे सभी चार बच्चों का नाम एनआरसी लिस्ट से गायब है. अब क्या होगा, इसका कुछ पता नहीं है. क्या बच्चों को भी देश और स्कूल छोड़ने के लिए कहा जाएगा? हम इसको लेकर बेहद निराश भी हैं.’
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हालांकि सरकार ने अगले 120 दिन में उन परिवारों को सभी संभव मदद देने का आश्वासन दिया है, जो मूल रूप से असम के निवासी हैं. इसके अलावा रियाजुद्दीन ने बताया, ‘मैं किसान हूं और साथ में मजदूरी करता हूं. पिछले कुछ महीनों में एनआरसी में नाम के लिए सब कुछ किया है. अब अगर मेरे बच्चों का नाम एनआरसी में नहीं है, तो हम कैसे यहां रह पाएंगे और बच्चों को बिना कैसे नागरिक कहलाएंगे. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है.’