शीला दीक्षित का नाम आते ही कन्नौज व उन्नाव में खुशी

शीला दीक्षित लखनऊ। उत्तर प्रदेश की तरह इत्रनगरी व उन्नाव में भी शांत पड़ी कांग्रेस की रगों में उस समय अचानक खून दौड़ने लग गया जब उनकी लोकप्रिय नेता और करीब 30 साल पहले कन्नौज से सांसद रहीं शीला दीक्षित का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस हाईकमान ने घोषित कर दिया। शीला दीक्षित के नाम की घोषणा ने कार्यकर्ताओं की नींद ही नहीं तोड़ी, बल्कि सड़कों पर निकल कर पार्टी नेताओं के साथ मिठाई बांटकर जश्न मनाया। ढोल-नगाड़े भी बजवाए।

वीआईपी जिला कन्नौज में कांग्रेस की शीला दीक्षित को अब तक सबसे अधिक विकास कार्य कराने वाली सांसद के रूप में याद किया जाता है। वह सन् 1984 में फर्रुखाबाद जिले की कन्नौज संसदीय सीट से कांग्रेस के बैनर तले चुनाव लड़ी थीं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी व तत्कालीन सांसद छोटे सिंह यादव को 61 हजार 815 वोटों से शिकस्त दी थी। सांसद बनने के बाद शीला दीक्षित ने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्य कराए। उन्होंने लाख-बहोसी पक्षी विहार का प्रस्ताव मंजूर कराया। कन्नौज नगर में अपने स्वर्गवासी पति विानोद दीक्षित की याद में एक सरकारी अस्पताल बनवाया। जीटी रोड किनारे पर्यटक आवास गृह का निर्माण भी कराया। इसके अलावा जिले में सड़कों का जाल बिछाने और ऊंचाई वाले स्थानों विश्वबैंक के जरिए कई सरकारी ट्यूबवेल लगवाने का काम भी किया। उनके काम की वजह से जिले वासी आज भी सबसे अधिक विकास कराने वाली सांसद के रूप में उन्हें जानते हैं।

हालांकि शीला दीक्षित ने 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के प्रत्याशी छोटे सिंह यादव से हार गईं। छोटे सिंह ने उन्हें करीब 53 हजार 833 वोटों से हराया था। अपने संसदीय क्षेत्र से चुनाव हारने के बाद शीला दीक्षित ने दिल्ली में राजनीतिक पारी नए सिरे से शुरू कर दी और फिर वह दिल्ली की मुख्यमंत्री भी बनी।

कन्नौज के तीन सांसद बने मुख्यमंत्री
कन्नौज। कन्नौज संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले अब तक तीन सांसद मुख्यमंत्री बन चुके है। यहां से सन 1984 में सांसद रहीं शीला दीछित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सन 1999 में चुनाव लड़ा और उन्होंने लोकतान्त्रिक कांग्रेस के अरविन्द प्रताप को चुनाव हराया। इसके बाद वह यूपी के मुख्यमंत्री बने और उन्हें एक साल के अंदर ही इस सीट से इस्तीफ़ा देना पड़ा। सन 2000 के उप चुनाव में मुलायम सिंह ने अपनी छोड़ी हुई सीट पर बेटे अखिलेश यादव को चुनाव लड़ाया और उन्होंने पहली बार में ही बसपा के अकबर अहमद डम्पी को शिकस्त दी।

सन 2000, 2004 और 2009 में कन्नौज संसदीय सीट से अखिलेश यादव को लगातार सांसद चुना गया। इसके बाद सपा ने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री का ताज पहना दिया। अखिलेश यादव ने कन्नौज की अपनी राजनीतिक विरासत पत्नी डिम्पल यादव को सौंप दी। डिम्पल यादव 2012 के उप चुनाव में निर्विरोध सांसद चुनी गई। अब यदि शीला दीछित को जिले की किसी भी विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया तो मुकाबला तीन मुख्यमन्त्रियों की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाएगा।

शीला दीक्षित हैं उन्‍नाव की बहू

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उन्नाव के वरिष्ठ कांग्रेसी व केंद्रीय मंत्री रहे स्व. उमाशंकर दीक्षित की पुत्रवधू हैं। अपने ससुराल के पैतृक निवास नगर पंचायत ऊगू से दीक्षित का काफी लगाव है।
स्व. उमाशंकर दीक्षित के इकलौते पुत्र स्व. विनोद दीक्षित से शीला की शादी हुई थी। विनोद दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। उत्तर प्रदेश में वह कई उच्च पदों पर रहे।
दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने के पहले श्रीमती दीक्षित लगभग हर साल अपने ऊगू स्थित आवास पर ससुर स्व. उमाशंकर दीक्षित की जयंती मनाने 12 जनवरी को आतीं थी।

ससुर की थी यूपी कांग्रेस में अच्छी खासी दखल
स्व. उमाशंकर दीक्षित की गांधी परिवार से काफी घनिष्ठता थी। वह केंद्रीय गृहमंत्री रहे। इसके अलावा उन्होंने कई केद्रींय मंत्रालयों को संभाला। स्व. दीक्षित पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे । यूपी कांग्रेस में उनकी अच्छी खासी दखल भी थी। भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी से भी स्व. दीक्षित की निकटता थी। वर्ष 1991 में उमाशंकर दीक्षित की मृत्यु हो गई।

उन्नाव में तिवारी कांग्रेस से चुनाव हारीं
कांग्रेस से अलग होकर बनी तिवारी कांग्रेस (नारायण दत्त तिवारी का) से शीला दीक्षित उन्नाव में लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में लगभग 12 हजार वोट मिले थे। उस समय उन्नाव से भाजपा के देवी बक्श सिंह सांसद चुने गए थे।

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