ख़त्म होने से बाल बाल बची पृथ्वी, आइये जाने क्या था ये खतरा

वैसे तो हर रोज हम अपनी धरती पर हर रोज किसी न किसी अंदरूनी खतरे से जूझते रहते हैं. लेकिन इस बार पृथ्वी एक ऐसा खतरा मंडरा रहा था जिससे पृथ्वी बाल बाल बाख गयी. यहाँ हम बात कर रहे हैं अन्तरिक्ष से पृथ्वी पर आने वाले उल्का पिंडों की. ये एक ऐसा खतरा था जिसके पृथ्वी से टकराते ही पृथ्वी पर सब कुछ ख़त्म हो सकता था. हम फिर से उसी युग में पहुँच जाते जहाँ से प्रगति करके हम इस आधुनिक समय में पहुंचे हैं.

'2019 एनजे2

‘2019 एनजे2’ नाम का उल्कापिंड पलक झपकते ही पृथ्वी से सारी इंसानियत को खत्म कर देता. हालांकि जाके राखो साइयां मार सके ना कोय की तर्ज पर 207 फीट व्यास आकार का यह उल्कापिंड शनिवार रात डेढ़ बजे पृथ्वी के पास से होकर गुजर गया.

अंतरिक्ष विज्ञान में महारथ हासिल रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो यह अब तक गुजरे उल्कापिंडों की दूरी के लिहाज से सबसे नजदीक से पृथ्वी के पास से गुजरा है.

यह उल्कापिंड किस हद तक खतरनाक हो सकता था, इसका अंदाजा लगाने के लिए सिर्फ उस खगोलीय घटना को याद करना जरूरी है, जिसमें पृथ्वी से टकराए उल्कापिंड ने धरती से डायनासोर समेत पूरा जीवन ही खत्म कर दिया था.

सरल शब्दों में कहें तो शायद ही कोई होगा जो उल्कापिंड के धरती से टकराने के अंजाम से वाकिफ नहीं हो. धरती पर उल्कापिंड के टकराने का सीधा अर्थ है पूरा का पूरा जीवन का नष्ट हो जाना.

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हाल की खगोलीय घटनाओं में कई उल्कापिंड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरे हैं. हम सौभाग्यशाली हैं कि एक भी उल्कापिंड धरती से नहीं टकराया.

यहां यह वैज्ञानिक सिद्धांत भी याद रखना बेहद जरूरी है कि पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इन उल्कापिंडों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यानी हर बार उल्कापिंड के धरती से टकराने का खतरा होता है, लेकिन शायद ईश्वर नाम का विश्वास पृथ्वी को बचा लेता है.

इस बार भी ईश्वर ने पृथ्वी से जीवन को खत्म होने से बचाया. ‘2019 एनजे2’ नाम का उल्कापिंड 30 हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था.

वह पृथ्वी के केंद्र से महज 3.1 मिलियन मील की ही दूरी पर था. अंतरिक्ष विज्ञानी इसके आकार औऱ गति को लेकर खासे संशकित थे. उन्हें आशंका थी कि ‘2019 एनजे2’ उल्कापिंड शनिवार की रात पृथ्वी से टकरा सकता है. यह अलग बात है कि फिर ईश्वरीय आशीर्वाद के तहत यह खतरनाक उल्कापिंड पृथ्वी के नजदीक से निकल गया.

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