रामघाट रोड स्थित मिथराज हास्पिटल में मंगलवार को एक मरीज की आंतें काटकर कूड़ेदान में डालने का मामला प्रकाश में आया है। मामले की खबर जैसे ही लगी तो वहं हंगामा हो गया।
परिजनों का कहना है कि उनको आपरेशन थिएटर में ले जाकर मरीज का फटा पेट और बाहर निकली आंतें दिखाकर डेढ़ लाख रुपये का और इंतजाम करने के लिए कहा। इससे पूर्व करीब चार लाख रुपये इलाज में लग चुके थे।
इसी बीच मरीज की मौत की जानकारी होने के बाद गुस्साए परिजनों व अन्य लोगों ने हास्पिटल में जमकर प्रदर्शन किया। मौके पर हरदुआगंज के पूर्व चेयरमैन राजेश यादव, पुलिस व पीएसी भी पहुंच गई।
कूड़ेदान में मिली आंतों को सील कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। शिकायत पर जिलाधिकारी ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय डाक्टरों का पैनल गठित किया गया है। तीन डाक्टरों का एक अलग पैनल पोस्टमार्टम करेगा।
वीरपाल (45) निवासी भीम नगर, हरदुआगंज का परिवार राजमिस्त्री का काम करता था। उसके पिता सुरेश ने बताया कि गत एक जुलाई को वीरपाल को पेट दर्द की शिकायत पर रामघाट रोड स्थित मिथराज हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। दो जुलाई को इसका आपरेशन किया गया। इसके बाद उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया गया।
इस दौरान उनका करीब चार लाख रुपया खर्च हो गया, जो रिश्तेदारों और परिचितों से कर्ज लिया गया था। चार दिन बाद डाक्टरों ने उसे पानी आदि दिया जिसके बाद पेट फूलने लगा। हमने डाक्टरों से कहा कि बेटे को जनरल वार्ड में भर्ती कर दें लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद दूसरे आपरेशन की बात कहने लगे। डाक्टरों ने हमारी सहमति भी मेरे और मेरी बहू के अंगूठे पर जबरन स्याही लगाकर ली और सोमवार को दूसरा आपरेशन करने लगे।
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पहले ही हो चुकी थी मौत…
सुरेश ने बताया आपरेशन के दौरान उसे और उसके परिवार के एक सदस्य को हास्पिटल के लोग मुंह पर मास्क आदि लगाकर अंदर ले गए। यहां पर वीरपाल का पेट फटा पड़ा था और आंतें बाहर निकलीं थीं। यह देखकर सुरेश बेहोश हो गया।
इसके बाद परिजनों से 1.50 लाख रुपये की मांग की गई। परिवार वालों ने किसी तरह 35 हजार रुपये दिए। लेकिन सोमवार की रात को 11 बजे हास्पिटल के डाक्टरों ने परिजनों से कह दिया कि वीरपाल की मौत हो गई है।
इसके बाद परिवार में कोहराम मच गया। देर रात वीरपाल के पिता सुरेश को हास्पिटल के बरामदे में रखे डस्टबिन में आंतें पड़ी दिखाई दीं। उसे याद आया कि यह वही आंतें हैं जो आपरेशन थिएटर में उसे दिखाई गई थीं।
सुरेश ने अपने क्षेत्र के लोगों और हरदुआगंज के पूर्व चेयरमैन राजेश यादव को घटना की सूचना दी। इसके बाद मौके पर गुस्साए परिजनों और क्षेत्र के लोगों ने मिथराज हास्पिटल पहुंच प्रदर्शन कर आक्रोश जताया। यह देख डाक्टरों ने कहा कि वीरपाल जिंदा है और वेंटिलेटर पर है। इस पर परिजन और क्षेत्र के लोग आईसीयू में घुस गए तो देखा कि वहां की मशीनें बंद हैं।
बाद में पाया गया कि वीरपाल की मौत पहले ही हो चुकी थी। हालात को देखते हुए मौके पर पुलिस पहुंची और कूड़ेदान में मिली आंतों को सील कर दिया। वीरपाल के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की गई है। इसके बाद तीन डाक्टरों का पैनल मामले की जांच के लिए गठित किया गया है।
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जिलाधिकारी से मामले की शिकायत की गई थी। जिसके बाद तीन डाक्टरों का पैनल जिसमें डॉ. जेएन शर्मा, डॉ. चरन सिंह और डॉ. रामबिहारी शामिल हैं, पोस्टमार्टम करेंगे। इसके अलावा पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय पैनल जिसमें मलखान सिंह जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. रामकिशन, सर्जन डॉ. रामबिहारी, डॉ. यतिंद्र कुमार भारद्वाज, एसीएमओ डॉ. दुर्गेश शामिल है, गठित किया गया है। यह लोग अपनी रिपोर्ट सीएमओ के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजेंगे।
वीरपाल का इलाज पहले राजस्थान में चल रहा था। वहां पर डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे। हमने परिजनों को पहले ही बता दिया था कि केस हाई रिस्क पर है। पहले आपरेशन के बाद मरीज चलने फिरने लगा था। उसे लिक्विड डाइट दी गई जिसके बाद उसका पेट फूलने शुरू हुआ। जांच में पाया कि उसकी आंतों में सेप्टिक हो गया है। इसके बाद दूसरा आपरेशन किया गया। जिसमें बेकार आंतों को बाहर निकाला गया। हमने मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की।
मृतक की पत्नी ने पुलिस को दी तहरीर
मृतक वीरपाल की पत्नी मछला की ओर से थाना क्वार्सी पुलिस को तहरीर भी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि उसने अपने पति को इलाज के लिए मिथराज हास्पिटल में भर्ती कराया था।
यहां पर डाक्टरों ने कहा कि हम तुम्हारे मरीज को ठीक कर देंगे, तुम तो बस पैसों का इंतजाम कर लो। इसके बाद चार लाख रुपये दिए। आपरेशन में मरीज की आंतों को काट दिया और डस्टबिन में डाल दिया।
उसके पति की मौत हो गई। तहरीर में कहा है कि वह अपने और अपने तीन बच्चों के भरण पोषण के लिए पति पर ही आश्रित थी। इस मामले में आरोपी डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
कुछ दिन पहले बिगाड़ा था बुजुर्ग का जबड़ा
मिथराज हास्पिटल में यह पहला मामला नहीं है। अभी दो महीने पहले ही यहां एक बुजुर्ग का जबड़ा इलाज के दौरान बिगाड़ दिया गया। बाद में मेडिकल कालेज में उपचार के बाद उनका जबड़ा ठीक हो सका। इस मामले में सीएमओ से शिकायत की गई, जिसके बाद सीएमओ ने मामले की जांच कराई। इसमें हास्पिटल की भूमिका गलत पाई गई। जिसके बाद पीड़ित को 60 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के निर्देश दिए गए।