ओमान की खाड़ी में दो तेल टैंकरों पर विस्फोटक हमला, बढ़ा तनाव, ईरान से गुस्से में अमेरिका !   

गुरुवार को ओमान की खाड़ी में दो तेल टैंकरों पर विस्फोटक हमले के बाद मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ गया है. यूएस ने इस हमले को ईरान की बिना उकसावे की कार्रवाई बताया है और दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग की सुरक्षा को लेकर चेतावनी जारी की है.

ओमान की खाड़ी में टैंकरों पर हमले काफी खतरनाक थे. ये विस्फोट सुबह 6 से 7 बजे के बीच हुए और दोनों टैंकरों से आग की तेज लपटें निकलती दिखाई दीं. विस्फोट के बाद दोनों जहाजों के क्रू सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

हालांकि, कई घंटों के बाद भी इस हमले की वजह नहीं साफ हो सकी है. ईरान का कहना है कि उसने कोकुका करेजियस टैंकर के बोर्ड से 21 लोगों को और 23 लोगों को फ्रंट अल्टायर से सुरक्षित निकाला है. वहीं, अमरीका ने भी दावा किया है कि उसकी नौसेना ने कुछ लोगों की जानें बचाईं.

गुरुवार को दोनों जहाजों पर हुए हमले के बाद तेल की कीमतों में करीब 3 फीसदी का इजाफा हो गया है.

दोपहर बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिकी इंटेलिजेंस से मिली जानकारियों के मुताबिक दोनों जहाजों को उड़ाने के पीछे तेहरान का ही हाथ है.

पोम्पियो ने हमले में इस्तेमाल किए गए हथियारों और विशेषज्ञता को ईरान के हालिया हमलों से मिलता-जुलता बताया.

यूएस ने बाद में सबूत के तौर पर एक वीडियो भी जारी किया. इस वीडियो में ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स की पैट्रोल बोट, कोकुका करेजियस शिप के पास एक माइन को हटाते नजर आ रही है.

ऑपरेटर कंपनी ने बताया कि कोकुका करेजियस में मेथेनॉल था जिससे उसके डूबने का खतरा नहीं था. यह शिप सऊदी बंदरगाह अल जुबैल से सिंगापुर जा रही थी.

जहाज की मालिकाना हक वाली कंपनी फ्रंट अल्तायर ने भी पुष्टि की कि उसके जहाज में आग लगी थी जिसके बाद क्रू सदस्यों को लाइफबोट्स में सुरक्षित निकाला गया. ऑपरेटर कंपनियों ने इसे नियोजित हमला बताया है.

फ्रंट अल्तायर को ताइवान की सरकारी तेल रिफाइनरी कंपनी सीपीसी कॉर्पोरेशन ने किराए पर लिया हुआ है. सीपीसी कॉर्पोरेशन के प्रवक्ता वू आई-फांग ने कहा है कि इसमें 75 हजार टन तेल था और ऐसी आशंका है कि इस पर टॉरपीडो (सबमरीन मिसाइल) से हमला किया गया है.

 

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तेल उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि इस रास्ते से दुनिया भर का करीब 30 फीसदी कच्चा तेल गुजरता है. अगर समुद्र असुरक्षित हो रहे हैं तो पश्चिमी दुनिया को हो रही तेल आपूर्ति गंभीर खतरे में पड़ सकती है.

यूएस की सेना ने गुरुवार को हमले में निशाना बनाए गए जहाजों की दो तस्वीरें भी जारी की जिसमें जहाजों को हुई क्षति को दिखाया गया है.

पोम्पियो ने एक कॉन्फ्रेंस में कहा, पूरी तस्वीर देखें तो बिना उकसावे के ये हमले अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए साफ खतरा दिखाते हैं.

बता दें कि इससे पहले भी चार तेल टैंकरों पर हमला हुआ था और अमेरिका ने इसके लिए ईरान को ही जिम्मेदार ठहराया था. ईरान ने पिछली बार की तरह इस बार भी हमले में किसी तरह की भूमिका होने से इनकार कर दिया है.

 

कहां हुआ है ये हमला?

कोकुका करेजियस ईरान के समुद्री तट से केवल 20 मील की दूरी पर था. यह हमला स्ट्रेट ऑफ होर्मूज में हुआ जो फारस की खाड़ी का सबसे संकरा रास्ता है.

यह ईरान और ओमान का जल क्षेत्र है जो 33 किलोमीटर चौड़ा है. इस रास्ते से दुनिया भर के तेल टैंकर और पोत होकर गुजरते हैं.

पेट्रोलियम हाईवे के अलावा फारस की खाड़ी शस्त्रों से लैस शत्रु देशों को भी अलग करती है- इसके एक तरफ ईरान और दूसरी तरफ अमेरिका का समर्थन पाए हुए देश सऊदी अरब और यूएई हैं.

दोनों पक्ष सालों से पड़ोसी देशों लेबनान, इराक, सीरिया और बहरीन में युद्ध लड़ते रहे हैं. सऊदी और अमीरात की सेना यमन में ईरान से जुड़े एक समूह को उखाड़ फेंकने के लिए सीधे लड़ाई लड़ रहे हैं.

ईरानी अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि ये नए हमले शत्रु देशों की पूर्वनियोजित साजिश का नतीजा हो सकते हैं. ईरान ने अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका के सहयोगी देशों सऊदी अरब, यूएई और इजरायल की तरफ उंगली भी उठाई. ये देश ईरान के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए अमेरिका पर दबाव डालते रहे हैं.

कई विश्लेषकों का कहना है कि जब तक हमले के पीछे की अस्पष्टता खत्म नहीं हो जाती, तब तक युद्ध तो नहीं छिड़ेगा लेकिन ईरान अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है. ईरान दिखा रहा है, हम इस संघर्ष में अपने दुश्मनों पर कहर ढा सकते हैं और यह बहुत ही खतरनाक होगा.

वॉशिंगटन और तेहरान के बीच दुश्मनी तब और बढ़ गई थी जब 3 साल पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से यूएस को अलग कर लिया था.

इस समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को सीमित किया जाना था और बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी जानी थी.

परमाणु समझौते से बाहर होने के बाद ट्रंप ने अप्रैल महीने में ईरान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले तेल की खरीदारी पर प्रतिबंध लागू कर दिए थे. यही नहीं, यूएस ने ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया था.

ईरान से बढ़ते तनाव का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन ने फारस की खाड़ी में एक युद्धपोत, बी-2 बमवर्षक विमान, पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती की है. ट्रंप ने पिछले महीने ट्वीट किया था कि अगर ईरान लड़ाई करना चाहता है तो फिर यह उसका आधिकारिक अंत होगा.

इसके जवाब में ईरानी नेताओं ने होर्मूज स्ट्रेट को ब्लॉक करने की धमकी दी थी जो तेल परिवहन के लिए अहम मार्ग है. साथ ही, ईरान ने कहा है कि अगर उस पर लागू आर्थिक प्रतिबंध हटाए नहीं जाते हैं तो वह अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज कर देगा.

क्षेत्र में ईरान के सहयोगियों ने भी अमेरिका के मित्र देशों पर हमले करने शुरू कर दिए हैं. सऊदी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने सऊदी की तेल पाइपलाइनों पर हमला कर दिया था और इसी सप्ताह एक हूती मिसाइल के हमले में सऊदी एयरपोर्ट में 26 लोग घायल हो गए थे.

 

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