वट सावित्री की पूजा एक ऐसी पूजा जो बढ़ा देती है आपके पति की उम्र, जानें कब और कैसे होती है यह पूजा 

करवाचौथ ही नहीं बल्कि एक और ऐसी पूजा हैं जिस भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बड़े चाव से करती हैं। चलिए इस पूजा का महत्‍व जानते हैं।
वट सावित्री की पूजा एक ऐसी पूजा जो बढ़ा देती है आपके पति की उम्र, जानें कब और कैसे होती है यह पूजा 

भारत की महिलाओं में अपने पतियों की उम्र को बढ़ाने और जिंदगी भर उनका साथ बना रहने का उत्‍साह बहुत होता है। इस वजह से भारत में कई तीज त्‍योहार इ‍सलिए मनाए जाते हैं जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना ईश्‍वर से करती हैं। खासतौर पर हिंदू रिती रिवाजा में ऐसे कई व्रत और पूजा बताई गई हैं, जिनको करने से पति की उम्र बढ़ जाती है, या पति का स्‍वास्‍थ हमेशा अच्‍छा बना रहता है।

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हैरानी की बात तो यह है कि यह पूजा और व्रत सदियों से महिलाएं करती आ रही हैं और अपनी आगे की पीढि़यों को भी पास ऑन कर रही हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक पूजा के बारे में बताएंगे, जिसे भारतीय महिलाएं बेहद चाव से करती हैं। मजेदार बात तो यह है की टीवी सीरियल्‍स और फिल्‍मों में भी आपने इस पूजा विधि को कई बार देखा होगा। जी नहीं, हम करवाचौथ की बात नहीं कर रहे बल्कि हम बात कर रहे हैं वट सावित्री पूजा की, जिसे भारत के कई क्षेत्रों में बरगदाई के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं कि यह पूजा क्‍यों की जाती हैं और इससे पति की उम्र कैसे बढ़ती हैं।

कब और कैसे होती है यह पूजा

वट यानी बरगद का पेड़। इस पूजा में बरगद के पेड़ की पूजा होती है। अधिकतर वट सावित्री पूजा मई या जून के महीने में अमावस्‍य के दिन होती है। बरगद के पेड़ की पूजा इसलिए भी की जाती है क्‍योंकि मई और जून के महीने में बहुत गर्मी पड़ती हैं और इस गर्मी से बरगद के पेड़ की छाव हमारी रक्षा करती है। इसलिए बरगद के पेड़ को रक्षक मानकर इसकी पूजा की जाती है।

कैसे बढ़ जाती है पति की उम्र

बरगद के पेड़ की उम्र बहुत होती है। कहते हैं बरगद का पेड़ 300 साल से भी ज्‍यादा जीवित रहता है। इसलिए इसे लंबी उम्र का प्रतीक मान कर शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए इसकी पूजा करती हैं। वैसे बरगद के पेड़ में एक गुण और होता है।

कहते हैं कि बरग के पेड़ पर पतझड़ के मौसम का असर नहीं होता मतलब विपरीत परिस्थितियों में भी बरगद का पेड़ ज्‍यों का त्‍यों बना रहता है। इसलिए पति के जीवन में भी कोई मूसीबत न आए और अगर आए तो वो हमेशा उसका डट कर सामना कर सकें इसलिए भी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है।

क्‍या है कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पूजा की शुरुआत तब हुई थी जब सावित्री ने अपने पति सत्‍यवान के जीवन को यमराज से वापिस लाने के लिए तप किया था। लोगो का ऐसा भी मानना है कि बरगद के पेड़ की जटाएं सावित्री का ही रूप होती हैं। भारत में शादीशुदा महिलाओं के बीचा सावित्री को आदर्श माना जाता है। कथा के अनुसार सावित्री एक राजकुमारी थी और उन्‍हें एक ऐसे व्‍यक्ति से प्रेम हुआ जिसकी मृत्‍यु एक साल बाद होना तय थी। मगर सावित्री ने साल भर कई व्रत और पूजा की।

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मगर साल भर बाद जब यमराज सत्‍यवान को लेने आए तो सावित्री ने यमराज को अपनी बातों में फसा लिया और अपने लिए उनसे बातों बातों में पुत्र का वरदान मांग लिया। यमराज ने भी बातों बातों में सावित्री को वरदान दे दिया और जब सत्‍यवान को अपने साथ ले जाने की बात आई तब सावित्री ने यमराज को अपने वरदान के बारे में याद दिलाया और इस तरह उसने सत्‍यवान का जीवन बचा लिया।

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