
शवयात्रा में शामिल होना पुण्य का काम है और इसी तरह यदि रास्ते में कोई शवयात्रा मिलती है तो उसके दर्शन से पुण्य लाभ मिलता है और आपके कष्ट दूर होते हैं।
किसी के निधन पर उसके शव को प्रणाम करने से न केवल उसकी आत्मा को शांति मिलती है बल्कि हमें भी लाभ मिलता है।
हमें दोनों हाथ जोड़कर उसे प्रणाम करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिवंगत शख्स की आत्मा आपके कष्टों को भी साथ ले जाती है और उस आत्मा को शांति मिलती है।
यही नहीं किसी ब्राह्मण की शवयात्रा को देखना या फिर उसमें शामिल होना और भी पुण्य का काम होता है। इसमें कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए और न ही कोई जबर्दस्ती नहीं होनी चाहिए और न ही पैसों के लिए ये काम करना चाहिए।
इससे आपको कष्ट हो सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि शवयात्रा में भाग लेने से आपके बिगड़े काम बन जाते हैं, मन को शांति मिलती है और लालच, स्वार्थ जैसी पृवत्ति दूर होती हैं। इसलिए जब भी ऐसा मौका आता है, उसमें शामिल होना चाहिए।
यही नही इनसे दूर भागने पर मन बेचैन होता है, अशांति फैलती है और आपके काम बिगड़ते हैं। इसलिए शवयात्रा या अंतिम संस्कार में शामिल होने को शुभ माना गया है।
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ये जीवन का सत्य है, जिसने जन्म लिया है , उसकी मृत्यु होना भी तय है और जितने दिन की जिंदगी है, उसे कोई टाल नहीं सकता। हम अपने जीवन में तमाम मायाजाल में फंसे रहते हैं, बुरे काम करते हैं लेकिन जब किसी के जीवन का अंत होता है तो सब कुछ खत्म हो जाता है।
ऐसे में उस शख्स को प्रणाम करने से खुद को ही शांति मिलती है। वो अंतर्यात्रा पर निकल रहा है और अपने साथ वो तमाम व्याधियां भी ले जा रहा है जो धरती पर उसके साथ थी। हम उसके साथ रहते हैं, तो हमारी कुछ व्याधियां भी उसके साथ जाती हैं।