जानें “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” की कुछ खास बातें जो बनाती हैं इसको सबसे खास
देश के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ रिकॉर्ड 33 महीने में बनकर तैयार हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शानदार प्रतिमा का अनावरण किया। दस बिन्दुओं में जानिए ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ क्यों है इतनी खास…
182 मीटर (597 फुट) ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी, इसके बाद चीन की स्प्रिंग बुद्ध मंदिर (153 मीटर) दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। जापान की उशिकु दायबुत्सु (120 मीटर) और अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का नंबर है।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को बनाने में 5,700 मीट्रिक टन यानी करीब 57 लाख किलोग्राम स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल हुआ। साथ ही 18,500 मीट्रिक टन छड़ का इस्तेमाल किया गया है। 18 हजार 500 टन स्टील नींव में और 6,500 टन स्टील मूर्ति के ढांचे में लगी।
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17 सौ टन कांसे का इस्तेमाल मूर्ति में, जबकि 1,850 टन कांसा बाहरी हिस्से में लगा। 1 लाख 80 हजार टन सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल निर्माण में किया गया, जबकि 2 करोड़ 25 लाख किलोग्राम सीमेंट का इस्तेमाल किया गया।
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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को ऐसे डिजाइन किया गया है कि भूकंप का झटका या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। 6.5 रिक्टर पैमाने पर आए भूकंप के झटकों में भी मूर्ति की स्थिरता बरकरार रहेगी। 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को झेल सकती है।