दो हजार किसानों ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु
मेरठ। मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) की वादाखिलाफी से तंग आकर दो हजार किसानों ने सामूहिक रूप से अपनी जान देने का एलान कर दिया। किसानों का आरोप है कि मुआवजे के बदले भूखण्ड देने के अपने ही प्रस्ताव से एमडीए मुकर रहा है। किसानों ने बैठक कर निर्णय लिया कि वे सामूहिक रूप से राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग करेंगे।
इच्छामृत्यु के लिए किसान लिखेंगे राष्ट्रपति को पत्र
रविवार को तिलकपुरम पार्क में गंगानगर, लोहियानगर और वेदव्यास पुरी के हजारों किसानों ने पंचायत की। किसानों का कहना था कि एमडीए के अधिकारियों द्वारा मुआवजा के बदले भूखंड दिए जाने के प्रस्ताव को नकारा जा रहा है।
किसान नेता तेजपाल सिंह ने कहा कि एमडीए अधिकारी किसानों की जान के दुश्मन बने हैं और एमडीए वीसी राज्य सरकार विरोधी है। सरकार द्वारा आदेश पर भी यह मुआवजे का भुगतान नहीं कर रहे हैं।
किसानों ने निर्णय लिया कि वे तीन दिन के भीतर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस को दो हजार पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु देने की मांग करेंगे, ताकि सभी सामूहिक रूप से अपनी जान दे सकें।
पत्र पर किसानों के परिवार के सभी सदस्यों के साइन होंगे। 6 जून तक सभी किसानों की इच्छा मृत्यु के प्रार्थनापत्र स्पीड पोस्ट द्वारा भेज दिए जाएंगे।
किसानों ने पिछले दस दिनों के भीतर हार्टअटैक से काल का ग्रास बने तीन किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की।
किसान संघर्ष समिति महासचिव हरविंदर सिंह ने बताया कि पिछले दिनों एमडीए अधिकारियों द्वारा समझौते को नकारने पर कुछ किसान बहुत ज्यादा आहत हो गए।
पिछले दस दिनों में रजपुरा निवासी किसान विजय कौर, बक्सर निवासी रणधारा सिंह और नरेश शर्मा की मानसिक तनाव व हृदय गति रुकने से मौत हो गई। बैठक में किसानों ने तीनों की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। साथ ही कैंडल जलाकर मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
पिछले दिनों किसानों ने एमडीए पर डेरा डालो-घेरा डालो आंदोलन जोरदार तरीके से चलाया था और एमडीए कार्यालय में चूल्हे सुलगा दिए थे। किसानों के इस धरने में कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर किसानों के बीच पहुंचे और किसानों को धरने से उठाते हुए कहा कि वे अपने घर जाएं। उनकी समस्या का समाधान करना अब उनका काम है।