तस्वीर के बाद अब जिन्ना की पत्नी के ‘सबूत’ से उबाल लाने की तैयारी

लखनऊ। अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर को लेकर उठा विवाद अभी शान्त भी नहीं हुआ है। और उनकी पत्नी का एक पत्र गांधी आई हास्पिटल में मिला है। 1938 में मुहम्मद अली जिन्ना एएमयू छात्रसंघ की मानद सदस्यता मिली थी, वहीं अब जिन्ना की पत्नी का हस्ताक्षर मिला है, जिसमें उन्होंने गांधी आई हास्पिटल की विजिट किया थी।

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय

विजिटर बुक में मोहम्मद अली जिन्ना की बेगम की जिक्र है। हालांकि पत्नी के नाम का उल्लेख नहीं किया गया है। लेकिन नीचे रेड स्याही से वाइफ ऑफ़ मुहम्मद अली जिन्ना लिखा गया है।

दरअसल, शनिवार को गांधी आई अस्पताल के ट्रस्ट के अध्यक्ष जिलाधिकारी चद्रभूषण सिंह ने निरीक्षण किया था। इस दौरान ट्रस्ट के सचिव की तरफ से प्रतिष्ठित आगंतुको की फाइल दिखाई गई।

इन विशिष्ट लोगों में मुहम्मद अली जिन्ना की पत्नी का नाम भी शुमार है। फाइल में लगे लेटर को जिलाधिकारी को दिखाया गया। पत्र में अस्पताल की प्रशंसा की गई है। जिन्ना की पत्नी ने उर्दू में लिखा है कि डॉ. मोहन लाल के आंख के अस्पताल को देख कर बड़ी प्रसन्नता हुई।

इंसान के लिए आंख की रोशनी बड़ा उपहार है और जिस तरह डॉ. मोहन लाल आँख के इलाज में व्यस्त है। देश के लिए उनकी यह सेवा तारीफ के काबिल है। वे जनता की मदद कर रहे है, वे प्रोत्साहन के हकदार हैं।

जिन्ना की पत्नी ने आगे लिखा है कि मुझे उम्मीद है कि डॉ. मोहन लाल का काम मुकम्मल होगा और डाक्टर साहब अपने इरादे में सफल होंगे।

आखिरी में उन्होंने बेगम मुहम्मद अली लिख कर दिनांक डाल दी है। अस्पताल के लोगों का दावा है कि 1944 में मुहम्मद अली जिन्ना की पत्नी आई थी। अस्पताल प्रबंधक से नाम पूछने पर नहीं बता पाएं।

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हालांकि, पुराने दस्तावेज देख कर बताने के लिए कहा गया। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने जिन्ना की पत्नी का विजिट करने के दौरान लिखा गया पत्र संजो कर रखा है। इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि सुभाष चंद्र बोस, राजेन्द्र प्रसाद व जवाहर लाल नेहरु के पत्र देख कर उनकी यादे ताजा कर रहा हूं।

जिन्ना की पत्नी के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश की डिग्निटी यहां आई है। वे कही से भी हों। उन्होंने अस्पताल  की तारीफ ही की है। उन्होंने कहा कि मैं इस ट्रस्ट का अध्यक्ष हूं तो गौरव महसूस कर रहा हूं।

डीएम चंद्र भूषण ने कहा कि ये एक विरासत है और इसको आगे बढ़ाने का काम करना है। हालांकि जिन्ना की दो पत्नियों का जिक्र तो मिलता है, जिसमें पहली पत्नी इमीबाई जिन्ना है जिनका जन्म 1878 में हुआ और मौत 1893 में हो गई।

वहीं रत्तनबाई जिन्ना जिनकी मौत 1929 में हो गई थी और जिन्हें मपियम जिन्ना के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि 1944 में मुहम्मद अली जिन्ना की ये पत्नी कौन है। जो कि गांधी आई हास्पिटल में विजिट करने आई थी। इनका नाम क्या है। हालांकि, अस्पताल की तारीफ में इन्होने बहुत कुछ कहा है। लेकिन इस पत्र को संजों कर रखने वाले गांधी आई अस्पताल को भी इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति से जुड़े रहस्य को खोजना पड़ेगा।

सन् 1928 में इस अस्पताल की नींव डॉ. मोहन लाल ने रखी थी। तब अस्पताल का नाम मोहन लाल आई अस्पताल था। लेकिन गांधी जी से प्रेरित हो कर 1931 में अस्पताल का नाम गांधी आई अस्पताल रख दिया गया।

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यहां देश के प्रतिष्ठित लोगों ने भ्रमण किया है। नेता जी सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरु, गोविन्द बल्लभ पंत, विजय लक्ष्मी पंडित, जनरल के एम करियप्पा, डा राजेन्द्र प्रसाद, मोरार जी देसाई, चौ. चरन सिंह, कल्याण सिंह आदि लोगों ने इस अस्पताल में अपने कदम रखे हैं।

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ नेता अमित गोस्वामी ने बताया जिस मोहम्मद अली जिन्ना के कारण भारत माता के दो टुकड़े पाकिस्तान की स्तरों में विभाजित करने का काम किया हो पाकिस्तान की स्थापना की उस व्यक्ति कॉल लेटर उस व्यक्ति की तीसरी पत्नी का लेटर याद अलीगढ़ के गांधी आई हॉस्पिटल में सज के रखा गया है, तो गांधी आई हॉस्पिटल का जिला प्रशासन जन्म आबादी मानसिकता से ग्रसित है।

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गांधी आई प्रशासन के खिलाफ हम कार्रवाई की मांग करते हैं। निश्चित रूप से उस लेटर को उपहार देना चाहिए या फिर आग लगा देनी चाहिए। जिस जिन्ना ने अलीगढ़ में नेशनल बवाल खड़ा कर रख दिया है।

अभी तक ऐसे जिंदा प्रेमी अलीगढ़ के हॉस्पिटल के अंदर बैठे हैं। निश्चित रूप से लेटर हटा देना चाहिए अन्यथा की स्थिति में यादों लेटर स्वयं आता है या फिर हम जैसे छात्र नेता उसे हटाने के लिए मजबूर होंगे।

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