कोर्ट की दो टूक- गांधी के हत्यारों को मिल चुकी है सजा, दोबारा नहीं जांच की गुंजाइश
नई दिल्ली। राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित किए जाने वाले महात्मा गांधी की हत्या के मामले को फिर से पुनर्जीवित करने वाले एक मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दो टूक में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट का कहना है कि वे ऐसे किसी भी मामले पर चर्चा करके अपना वक्त बर्बाद नहीं करना चाहते, जो जनहित में न हो और लोगों में एक नए भ्रम को जगह मिले। कोर्ट ने दावा किया कि मामला काफी पुराना है और इस मामले से संबंधित आरोपियों को उस दौर में वाजिब सजा दी जा चुकी है।
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बता दें कि 30 जनवरी 1948 को राजधानी दिल्ली में महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। नाथूराम गोडसे को गांधी की हत्या के आरोप में दोषी करार दिया गया था।
15 नवंबर 1949 को उन्हें फांसी दे दी गई थी जबकि सबूतों के अभाव में सावरकर को संदेह का लाभ मिला था।
खबरों के मुताबिक़ मुंबई के पंकज फणनीस ने अभिनव भारत की तरफ से इस बाबत एक याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज इसे खारिज कर दिया है।
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याचिका में महात्मा गांधी की हत्या के पीछे फोर बुलेट थ्योरी दी गई थी। याचिका कर्ता के मुताबिक महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा चलाई गई तीन गोलियों से नहीं हुई थी। उनकी मौत उस चौथी गोली से हुई थी, जिसे कि अज्ञात शख्स ने चलाया था।
रिसर्च स्कॉलर फडनीस ने इस पूरे मामले पर पर्दा डालने की इतिहास की सबसे बड़ी घटना का दावा किया था। उन्होंने कहा कि नाथूराम की आड़ में किसी अन्य शख्स ने बापू की हत्या को अंजाम दिया था।
याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि सालों पहले हुए किसी मामले को फिर से खोलने का कोई अधिकार नहीं बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के संबंध में दायर याचिका की सुनवाई 6 मार्च को पूरी कर ली गई थी।
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए साफ किया था कि वह भावनाओं से प्रभावित नहीं होंगे बल्कि फैसला करते समय कानूनी दलीलों पर भरोसा करेंगे।
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि इस घटना में बहुत देर हो चुकी है। इसे फिर से खोलने से यह ठीक नहीं हो जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि हम कानूनी तर्कों के मुताबिक चलेंगे न कि भावनाओं के भरोसे। बेंच ने याचिका कर्ता से कहा कि हमने आपको सुना है और हम आदेश पारित करेंगे।
आप कहते हैं कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि क्या हुआ था। लेकिन ऐसा लगता है कि लोगों को इस बारे में पहले से मालूम है। आप लोगों के मन में संदेह पैदा कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि जिन लोगों ने हत्या की थी, उनकी पहचान करके उनको फांसी दी जा चुकी है।
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