
नई दिल्ली: वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए कई तरह के अंतर्देशीय युद्धाभ्यासों का आयोजन किया जाता रहा है. इन युद्धाभ्यासों का मकसद वर्तमान में जन्म ले रही ऐसी समस्याओं का सामना करना है जोकि आने वाले कल के लिए चुनौती बन सकती हैं. अन्य देशों के बीच होने वाले ऐसे अभ्यासों के जरिये सैनिक आधुनिक शैली के हथियारों का इस्तेमाल करने और तकनीक के साथ कदमताल मिलाने के लिए जागरूक होते हैं.
भारत एवं सेशेल्स के बीच सातवां संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘लामिति’ चल रहा है. स्थानीय भाषा में लामिति का मतलब मित्रता है. यह अभ्यास आइलैंड के माहे में हो रहा है.
भारत और सेशल्स 2001 के बाद से इस संयुक्त अभ्यास का आयोजन कर रहे हैं, जो दोनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग और अंतर-क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से होता है.
युद्धाभ्यास के दौरान खोज अभियान, बंधकों को बचाने का अभ्यास, एंटी-पायरेसी, उग्रवाद के माहौल की घटनाओं व अन्य समस्याओं के समाधान पर एक साथ मिलकर अभ्यास किया गया.
भारत दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसी देशों के साथ लगातार अपने कूटनीतिक और सामरिक संबंध मजबूत कर रहा है. इसी दिशा में समय-समय पर ऐसे युद्धाभ्यास किए जाते हैं.
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सेशेल्स डिफेंस एकेडमी (एसडीए), विक्टोरिया, सेशेल्स में किया गया. ‘लामिति’ 2018 सातवां संयुक्त अभ्यास है. ऐसा पहला अभ्यास 2001 में शुरू किया गया था.
इस युद्ध अभ्यास में कुल 52 सैनिकों ने भाग लिया जिनमें सेशेल्स आर्मी की ओर से 20 सैनिक और 32 सैनिक सेशेल्स इन्फेंट्री से शामिल हुए.
मार्च 2018 के दूसरे हफ्ते में भारतीय नौसेना अंडमान निकोबार में अब तक के सबसे बड़े समुद्री नौसैनिक अभ्यास ‘मिलन’-2018 का आयोजन करने जा रही है.
युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने के लिए पहली बार एक साथ दुनिया के 22 देशों की नौसेना भारत में जुटेगी. इस बार इस युद्धाभ्यास में गैरकानूनी समुद्री गतिविधियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग पर ज्यादा फोकस किया जाएगा.