आतंक पर फंसी पाकिस्तान की गर्दन, लगा ऐसा झटका कि सबसे बड़े ‘यार’ ने भी खींच लिया हाथ
नई दिल्ली। आतंकवाद को बढ़ावा देना पाकिस्तान को हर कदम पर भारी पड़ता जा रहा है। पहले अमेरिका ने इस कारण दी जाने वाली सभी सहायता राशियों पर रोक लगा दी थी। अब ताजा मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया है। यानी अब FATF पाकिस्तान पर कड़ी निगाह रखेगा। वहीं पाक के लिए दूसरा बड़ा झटका ये रहा की चीन ने भी इस मामले में अपने कदम पीछे खींच लिए।
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खबरों के मुताबिक़ चीन ने प्रस्ताव पर पहले आपत्ति जताई थी, लेकिन बाद में विरोध को वापस ले लिया। इसके बाद पाकिस्तान को आम सहमति से ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने का फैसला लिया गया। पेरिस में चल रही FATF की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
बता दें FATF एक अंतरसरकारी संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष 1989 में गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य मनीलांड्रिंग, आतंकियों को धन मुहैया कराना और अंतरराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य खतरों के प्रति ठोस कार्रवाई करना है। संगठन द्वारा लिया गया फैसला सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी होता है।
इससे पहले पाकिस्तान को मनीलांड्रिंग के मामले में वर्ष 2012 से 2015 तक के लिए वॉच लिस्ट में डाल दिया गया था। लेकिन, इस बार आतंकियों या आतंकी संगठनों को धन मुहैया कराने के मामले में कार्रवाई की गई है।
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वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल दक्षिण एशिया को लेकर अपनी नई नीतियों का ऐलान किया था।
उन्होंने पाकिस्तान को आंतकी संगठनों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने को लेकर सख्त चेतावनी दी थी।
ट्रंप ने कहा था कि पाकिस्तान ऐसा करने से बाज आए या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। अमेरिका ने आर्थिक मदद भी रोक दी है।
पाकिस्तान ने 21 फरवरी को FATF की बैठक में सफल होने का दावा किया था। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) की प्राथमिक बैठक में पाकिस्तान को फिर से वॉच लिस्ट में डालने पर आम सहमति नहीं बन सकी थी।
हालांकि, अमेरिका और भारत के अधिकारियों ने उस वक्त पाकिस्तानी दावे को बचकाना करार दिया था और कहा था कि इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने मॉस्को से ट्वीट कर तीन महीने की मोहलत मिलने की बात कही थी, ताकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘ग्रे लिस्ट’ में देश का नाम न डालने के लिए मनाया जा सके।
उन्होंने यहां तक लिखा था कि उनके प्रयासों ने आखिरकार रंग लाया। पाकिस्तानी मीडिया में चीन, तुर्की और सऊदी अरब द्वारा इस्लामाबाद का समर्थन करने की बात कही गई थी।
मालूम हो कि आईसीआरजी में अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के प्रस्ताव का समर्थन किया था।
पाकिस्तान ने इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए अपने शीर्ष अधिकारियों को पेरिस भेजा था। दूसरी तरफ, भारत शुरुआत से ही पाकिस्तान को काली सूची में डलवाने को लेकर कूटनीतिक पहल तेज कर दी थी।
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